पिम हेतु व्यवहारिक व दृष्टिकोणात्मक परिवर्तन कार्यशाला का शुभारम्भ
सहभागी सिंचाई प्रबंधन योजना की सबका साथ, सबका विकास एवं सबका विश्वास, संकल्प को साकार करने में अहम भूमिका-मुख्य अभियन्ता, पैक्ट
लखनऊः-सिंचाई विभाग की महात्वाकांक्षी योजना सहभागी सिंचाई प्रबन्धन के अन्तर्गत स्थापित जल उपभोक्ता समितियों के व्यवहारिक एवं दृष्टिकोणात्मक परिवर्तन की दिशा में यह दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला वरदान सिद्ध होगी। यह विचार अनूप कुमार श्रीवास्तव, प्रमुख अभियन्ता, परिकल्प एवं नियोजन सिंचाई विभाग ने आज 11 बजे होटल सागर सोना में वाल्मी (जल एवं भूमि प्रबंधन संस्थान, सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग, उ0प्र0) द्वारा आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला अटीटूडिनल एण्ड़ बिहेवियरल चेंज टूवर्ड पिम में व्यक्त किये। उन्होेंने कहा कि किसी भी कार्य की पूर्ण रूपेण सफलता के लिए व्यवहारिक व दृष्टिकोणिक परिवर्तन महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। प्रमुख अभियन्ता ने जनपद ललितपुर के अपने अनुभवों को साझा करते हुए बताया कि किसानों के सकारात्मक सोच को प्रोत्साहित करके उन्होने बुंदेलखण्ड़ की चार नहरों का सफल संचालन चयनित जल उपभोक्ता समितियों से कराया हैं। नवोन्मेशी इस विचारधारा की विश्व बैंक दल ने भी मुक्त कण्ठ से सराहना की थी। उन्होेंने कहा कि पिम योजना का सफल संचालन अभी तक विश्व बैंक पोषित परियोजना यू0पी0डब्लू0एस0आर0पी0 द्वारा चयनित जनपदों में किया जा रहा हैं। उन्होेंने कहा कि पिम की उपयोगिता को दृष्टिगत रखते हुए इसका विस्तार पूरे प्रदेश में किया जा रहा हैं। इस वित्तीय वर्ष 2019-20 में इस प्रयोजन हेतु रू0 28.68 करोड़ की बजट व्यवस्था की गयी हैं।
कार्यशाला में निदेशक पिम एवं मुख्य अभियन्ता अनुश्रवण एवं मूल्यांकन जीवन राम यादव ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि हमारी भारतीय संस्कृति में जल सहभागिता अनादि काल से रही है। इसका जीवांत उदाहरण देते हुए कहा कि जब सिंचाई के आधुनिक साधन सुलभ नही थे तब लोग आपस में मिलकर बेडी, रहेंट और ढेकुली आदि के द्वारा में आपस में मिल-जुलकर सामूहिक सिंचाई व्यवस्था करते थे।
सहभागी सिंचाई प्रबंधन को प्रदेश में लोकप्रिय बनाने में उत्तर प्रदेश वाॅटर सेक्टर रिस्ट्रक्चरिंग परियोजना की सराहनीय भूमिका को रेखांकित करते हुए मुख्य अभियन्ता, पैक्ट ए0के0 सेंगर ने कहा कि परियोजना के पहले व दूसरे चरणों में जल उपभोक्ता समितियों का गठन कराकर नहरों की व्यवस्था किसानों को सौंपने में इस परियोजना ने अद्वितीय एवं उल्लेखनीय कार्य किया है जिसकी सफलता को दृष्टिगत रखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने पूरे प्रेदश में यह योजना लागू करने का निर्णय लिया है। उन्होेंने कहा कि प्रधानमंत्री जी की महत्वपूर्ण योजना ‘‘पर ड्रोप मोर क्राप’’ को सफल बनाने के लिए मुख्यमंत्री एवं सिंचाई मंत्री के नेतृत्व एवं प्रमुख सचिव सिंचाई के मार्गदर्शन में परियोजना द्वारा जल उपभोक्ता समितियों को जागरूक एवं आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है। जिससे कम पानी में अधिक फसल प्राप्त कर सकें। उन्होंने यह भी बताया कि किसानों को जल संचयन एवं जल संरक्षण की तकनीकी जानकरी देने के लिए कुलाबा स्तर पर लगभग 3000 हजार किसान सिंचाई विद्यालय कार्यरत् है।
श्री सेंगर ने कहा कि सहभागी सिंचाई प्रबंधन योजना सबका साथ, सबका विकास एवं सबका विश्वास, राष्ट्रीय संकल्प को साकार करने में अहम भूमिका का निर्वहन कर रही हैं।
कार्यशाला का संचालक करते हुए श्री राजेश शुक्ला ने बताया कि इस कार्यशाला में विभागीय अधिकारियों के अलावा देश के विभिन्न प्रान्तों के सफल जल उपभोक्ता समितियों के प्रतिनिधि एवं जल शक्ति मंत्रालय भारत सरकार के परामर्शी/विशेषज्ञों ने प्रतिभाग किया हैं। श्री शुक्ला ने बताया कि इस कार्यशाला में कुशल व उत्साही प्रतिभागियों को गुजरात आदि उन प्रान्तों का भ्रमण कराया जायेगा जहाॅ जल उपभोक्ता समितियाॅ अनुकरणीय कार्य कर रही हैं।
कार्यशाला के प्रथम दिन के सत्र में जल शक्ति मंत्रालय, भारत सरकार के परामर्शी राजेश कुमार त्रिपाठी, वाल्मी निदेशकएस0पी0 सिंह सहित विभिन्न विशेषज्ञों ने अपने सारगर्भी व्याख्यान दिये तथा उत्तर प्रदेश के अलावा गुजरात एवं मध्य प्रदेश की प्रगतिशील जल उपभोक्ता समितियों के प्रतिनिधियों ने अपनी सफलता की कहानियों का प्रस्तुतीकरण किया है।
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