Lucknow-उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि वास्तव में साहित्य समाज का आइना होता है, जैसा साहित्य होगा समाज उसी के अनुरूप प्रेरणा और प्रकाश प्राप्त करता है। अगर साहित्य मौलिक, उत्कृष्ट और शाश्वत मूल्यों पर आधारित है तो समाज को रचनात्मक गति और दिशा देता है। उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय और लोकभाषाएं हिन्दी भाषा की ताकत हैं। इसलिए क्षेत्रीय और लोकभाषाएं को भी विकसित करने का सतत प्रयास होना चाहिए।
मुख्यमंत्री आज यहां अपने सरकारी आवास पर ‘हिन्दुस्तानी एकेडेमी प्रयागराज’ द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने कहा कि 22 वर्षाें बाद हिन्दुस्तानी एकेडेमी ने हिन्दी और उसकी लोक भाषाओं से जुड़े साहित्य और उनके साहित्यकारों को सम्मानित करने की प्रक्रिया फिर से प्रारम्भ की है। इसके लिए उन्होंने हिन्दुस्तानी एकेडेमी के अध्यक्ष और उनकी पूरी टीम को बधाई दी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हिन्दी भाषा को समृद्ध करने की लोक परम्परा का आधार हिन्दुस्तान एकेडेमी बना है। आज यहां लोक भाषाओं के साथ-साथ हिन्दी से जुड़े हुए उत्कृष्ट साहित्यकारों को सम्मानित करने का प्रयास अभिनन्दनीय है। मुख्यमंत्री जी ने 10 साहित्यकारों को पुरस्कृत किया। उन्होंने 05 लाख रुपए की धनराशि का गुरु गोरक्षनाथ शिखर सम्मान डाॅ0 अनुज प्रताप सिंह को प्रदान किया।
इसी के साथ गोस्वामी तुलसीदास सम्मान डाॅ0 सभापति मिश्र, भारतेन्दु हरिश्चन्द्र सम्मान डाॅ0 रामबोध पाण्डेय, महावीर प्रसाद द्विवेदी सम्मान डाॅ0 योगेन्द्र प्रताप सिंह, महादेवी वर्मा सम्मान डाॅ0 सरोज सिंह, फ़िराक़ गोरखपुरी सम्मान शैलेन्द्र मधुर, भिखारी ठाकुर भोजपुरी सम्मान ब्रज मोहन प्रसाद ‘अनाड़ी’, बनादास अवधी सम्मान डाॅ0 आद्या प्रसाद सिंह ‘प्रदीप’, कुम्भन दास ब्रज भाषा सम्मान डाॅ0 ओंकार नाथ द्विवेदी तथा हिन्दुस्तानी एकेडेमी युवा लेखन सम्मान विश्व भूषण को प्रदान किया। इससे पूर्व कार्यक्रम का शुभारम्भ मुख्यमंत्री जी ने दीप प्रज्ज्वलित कर सरस्वती प्रतिमा पर माल्यार्पण कर किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मध्यकाल में घोर गुलामी के कालखण्ड में गोस्वामी तुलसीदास जी रामचरित मानस के माध्यम से लोगों के मन में एक नया भाव जाग्रत कर रहे थे। मध्यकालीन सन्तांे ने साहित्य के इस मर्म को समझा और स्थानीय भाषा में उसे नई उचांईयां देकर आमजन को प्रेरित किया।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने हिन्दुस्तानी एकेडेमी की छः पुस्तकों- ‘नाथपंथः विविध आयाम’, ‘हमारी संस्कृति और हम’, ‘समकालीन भोजपुरी साहित्य कऽ समीक्षात्मक अध्ययन’, ‘रामविलास शर्मा का प्रेम-परिसर’, ‘भोजपुरी लोककथा मंजूषा’ तथा ‘हिन्दुस्तानी एकेडेमी का इतिहास’ का विमोचन भी किया।
इस अवसर पर हिन्दुस्तानी एकेडेमी, प्रयागराज के अध्यक्ष डाॅ0 उदय प्रताप सिंह ने कहा कि हिन्दुस्तानी एकेडेमी के लिए आज का दिन ऐतिहासिक है। हिन्दी संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष डाॅ0 सदानन्द प्रसाद गुप्त ने कहा कि साहित्य मनुष्य की चेतना को दर्शाता है।
इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव सूचना एवं गृह अवनीश कुमार अवस्थी, सूचना एवं संस्कृति निदेशक शिशिर, उ0प्र0 संस्कृत संस्थानम के अध्यक्ष डाॅ0 वाचस्पति मिश्र सहित अन्य गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।
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