Lucknow-15 अगस्त 1947 को भारत आजाद हुआ लेकिन पूर्ण आजादी अब 5 अगस्त 2019 को मिली। जम्मू कश्मीर की आजादी धारा 370 व 35ए के कारण अधूरी थी। एक धारा के कारण यह प्रदेश देश की मुख्यधारा से वचिंत था। तीन परिवारों की तथाकथित राजनीति इसकी राह में रोड़ा बनी हुई थी। गांधी परिवार ने अब्दुला परिवार से समझौता कर लिया था या तो हम या तो आप की राजनीति की अब मुफ्ती परिवार भी इसमें शामिल हो चुका था। इन परिवार ने अपने स्वार्थ साधने में कोई कसर बाकी नहीं रखी। मुठ्ठी भर अलगाववादी नेता भी पनप गए इनकी ओछी राजनीति के कारण। 1947 से 2019 तक 42 हजार निर्दोष लोगों की अपनी जान गवानी पड़ी। वो जीना चाहते थे लेकिन घृणित राजनीति ने खूनी खेल को रोकने के बजाये उसे बढावा दिया। अलगाववादियों को सुरक्षा दी गई उनकी फडिंग की गई। दिनोंदिन कश्मीर में स्थिति खराब होती चली गई। पाकिस्तान की भाषा बोलने में भी इन तथाकथित दलों ने संकोच नहीं किया। पाकिस्तान के साथ वार्ता हो इस बात के ये समर्थक है। सर्वप्रथम इसकी शुरूआत प. नेहरू ने की जब देश की 561 रियासतों को लौहपुरूष सरदार बल्लभ भाई पटेल ने भारत में विलय करा दिया तब प. नेहरू ने पटेल से कहा कश्मीर के बारे में वे स्वयं देखेंगे। उस दिन से जम्मू कश्मीर का निर्णय अनिर्णय में बदल दिया गया। उसके बाद प. नेहरू इसे यूएन में ले गए और यह अन्तर्राष्ट्रीय विवाद बन गया। खूब राजनीतिक रोटियां सेकी गई। एक समझौते के अनुसार जम्मू कश्मीर में अलग संविधान, प्रधान व निशान को पहचान मिल गई। अब राजनीति के इस विकृत स्वरूप के खिलाफ जनसंघ के संस्थापक डाॅ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने आवाज बुलंद की। कश्मीर में भी भारत का संविधान, प्रधान व निशान हो इस बात को लेकर उन्होंने आन्दोलन छेड़ दिया। जम्मू कश्मीर की सीमा पर डाॅ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी को हिरासत में लेकर जेल में डाल दिया गया। तत्कालिन भारत सरकार ने शेख अब्दुल्ला का साथ दिया। हमें तो यहां तक सूनने को मिला कि डाॅ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी को जेल में जो रोटियां खाने को दी जाती थी उनमें थोड़ी-थोड़ी मात्रा में सिमेंट मिलाया जाता था। एक षडयंत्र कर डाॅ. मुखर्जी को जान से मारने की शेख अब्दुल्ला सरकार की साजिश सफल हुइ। डाॅ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने कश्मीर की आजादी के लिए अपने प्राण दे दिये लेकिन अपने बचन से डीगें नहीं। उसी समय से भाजपा ने देशभर में यह नारा दिया जहांहुए बलिदान मुखर्जी वो कश्मीर हमारा है। तब से अब तक नारा गूंजता रहा अब कौन इस नारे को हकीकत में बदलेगा कब बदलेगा यह देखने वाली बात थी। 2014 में जब देश में भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार बनी तो लोमड़ी की तरह चालाक विपक्ष ने कहना शुरू कर दिया कि अब 370 हटाओं रामजन्मभूमि पर मंदिर बनाओं क्यों नहीं अपना वादा पूरा करते है मोदी जी, विपक्ष यह बखूबी जानता था कि राज्यसभा में भाजपा का बहुमत नहीं है, राष्ट्रपति भी भाजपा का नहीं है अतः वह यह कार्य नहीं कर सकते अतः इस बात को वो तो समझते है लेकिन उनके इस भुलावे में भाजपा या तो फस जाएगी या जनता के सामने निरूत्तर हो जायेगी। देश में नोटबंदी हुई, जीएसटी लागू की गई इस बिल को पास कराने के लिए लोकसभा राज्यसभा का संयुक्त सत्र बुलाया गया। विपक्ष ने चिल्लाना शुरू कर दिया। की 370 पर, जन्म भूमि पर संयुक्त सत्र क्यों नहीं बुलाते है मोदी जी। मोदी जी को जो करना है जब करना है यह जानने और समझने में विपक्ष फेल साबित हुआ। 2014 में मोदी जी के प्रधानमंत्री बनते ही सविधान खतरे में आ गया, देश में डर का माहौल है, आदि-आदि पर बढ-चढकर बोला गया। आरक्षण को मोदी सरकार हटाना चाहती है यह भ्रम भी फैलाया गया। देश में अस्थितरता उत्पन्न हो इस दिशा में विपक्ष ने कोई कसर नहीं छोडी । मोदी जी ठहरे मोदी जी वह अपनी मस्त हाथी (चाल) से चलते गए। जो राष्ट्रहित में सर्वोपरि लगा वह किया। विदेशों में मोदी जी की नीतियों का डंका बजने लगा। देश में भ्रष्टाचार को रोकना, जनधन खाते खुलवाकर लाभार्थियां को सीधे पैसा मिलने लग गया। शौचालय, बिजली, एलपीजी गैस सिलेण्डर गरीबों को मिलने लगे। कुल मिलाकर 35 करोड़ लाभार्थियों तक भारत सरकार ने लाभकारी योजनाओं को पहुंचाने में सफलता प्राप्त की। गरीब को रहने के लिए निःशुल्क मकान बनाकर दिये गए। करोडों की संख्या में बेघरों को घर मिले। प्रधानमंत्री जनऔषिधी केन्द्र खोलकर लोगों को सस्ती दवायें उपलब्ध कराना शुरू किया। प्रधानमंत्री आयुष्मान योजना के तहत 50 करोड़ गरीबों को 5 लाख रूपये तक का मुफ्त इलाज दिया गया। किसानों को 6000 रूपया सालाना पेशन देना प्रारम्भ किया। देश में परिवर्तन दिखने लगा। सरकार की इच्छा शक्ति में कितनी ताकत होती है यह लोगों को समझ आ गया। मोदी जी पर भरोसा बढता गया। विपक्ष चारों खाने चित होता गया। राष्ट्रीय दल, क्षेत्रीय दल कुल मिलकार सब कमल के सामने दलदल ही साबित हुए। राहुल गांधी को गुजरात के विधानसभा चुनाव में घोर जाति-पाति की बात करने वालों के साथ कधे से कधां मिलाकर चलते पाया गया। जब सारे दांव उनके फेल हो गए तो एक ईमानदार पार्टी उसके ईमानदार नेता नरेन्द्र भाई पर राफेल की आड़ में भ्रष्टाचार के आरोप लगाने शुरूकर दिये। नरेन्द्र भाई ने बिना विचलित हुए विपक्ष की हर चाल को इतनी आसानी से तोड़ डाला जैसे कोई हाथी अपने सूंड से किसी वृक्ष की डाल को तोड़ डालता है। 2019 में लोकसभा के आम चुनाव आ गए। विपक्ष ने भाजपा से वही सवाल पूछने शुरू कर दिय क्या धारा 370 हटी, 35ए खत्म हुई, मंदिर बना। कश्मीर और मंदिर के मुद्दे पर भाजपा अपने पुराने वादे पर ही जनता के बीच गई जनता ने इस बार तो मानों पहले से मोदी जी को पुनः प्रधानमंत्री बनाना है यह ठाना हुआ था। जैसे ही भाजपा अध्यक्ष अमित भाई शाह और प्रधानमंत्री मोदी ने चुनाव प्रचार शुरू किया तैसे ही जनता ने उनको हाथों हाथ ले लिया। आपार जनसमर्थन दोनों नेताओं को मिलता देख विपक्ष की सीटी पीटी गुम हो गई। मोदी हँा और मोदी ना पर पूरा चुनाव केन्द्रित हो गया। शाह व मोदी जी की करिश्माई जोड़ी ने कमाल कर दिखाया। हुआ वही जो मोदी व शाह जी चाहते थे। अब तो ईवीएम पर भी विपक्ष के आरोप लगाने की हिम्मत नहीं हुई। जो जनता चाहती थी या चाहती है वह सब तो मोदी जी कर ही रहे है। मात्र ढाई माह ही हुए मोदी जी को पुनः प्रधानमंत्री बने उन्होंने लोकसभा सत्र को बढाया। सावन के पहले सोमवार चन्द्रयान 2, दूसरा सोमवार तीन तलाक, तीसरा सोमवार 370 व 35ए खत्म। भारत में एक तरफ बादल गरज रहे है दूसरी और मोदी जी। गृहमंत्री अमित भाई शाह ने लोकसभा में धारा 370 से कश्मीर को कितना नुकसान उठाना पड़ा इस पर खुलकर बोला। 8 अगस्त को प्रधानमंत्री मोदी जी ने देश को सम्बोधित करते हुए इसके बारे में देशवासियों को बताया। पाकिस्तान की भाषा बोलने वाले विपक्षी नेताओं को जनता आगे सबक सिखाएगी।
झांसी में हुआ हादसा खिड़की तोड़कर बाहर निकाले...
इन्दिरा गांधी प्रतिष्ठान में पूर्व मंत्री आशुतोष...
वाराणसी में 20 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र...
Lucknow: दरिंदगी, कट्टरता और अराजकता के खिलाफ शहर में...
यूपी में ठंड की आहट…आज भी इन 26 जिलों में बारिश का...
UP में फिर तबादले; योगी सरकार ने 8 जिलों के पुलिस कप्तान...