केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय द्वारा गठित विशेष जांच दल ने सिख विरोधी दंगों से जुड़े सात मामलों को फिर से खोलने का फैसला किया है। इस बारे में एक आधिकारिक अधिसूचना के मुताबिक इन मामलों में आरोपियों को या तो बरी कर दिया गया या मुकदमा बंद हो चुका है। दंगों के 35 साल बाद खोले गए इन मामलों में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ की भूमिका की भी जांच की जाएगी। दिल्ली में अकाली दल के विधायक मनजिंदर सिंह सिरसा ने दावा किया है कि जिन केसों को दोबारा खोला जा रहा है उनमें से एक केस में कमलनाथ पर भी आरोप लगे हैं।
सिरसा का कहना है कि कमलनाथ ने कथित तौर पर इन सात मामलों में से एक में आरोपी पांच लोगों को कथित तौर पर शरण दी थी। उन्होंने पिछले साल गृह मंत्रालय को पत्र लिखकर 1984 में हुए दंगों की दोबारा जांच करने की मांग की थी। नई दिल्ली के संसद मार्ग थाने में दर्ज प्राथमिकी में कमलनाथ का नाम कभी नहीं आया। इस दौरान कमलनाथ कांग्रेस कमेटी के इंचार्ज, जनरल सेक्रेटरी और कैबिनेट मंत्री रह चुके थे। सिख विरोधी दंगों से जुड़े सात मामले 1984 में वसंत विहार, सन लाइट कालोनी, कल्याणपुरी, संसद मार्ग, कनॉट प्लेस, पटेल नगर और शाहदरा पुलिस थानों में दर्ज किए गए थे।संज
गृह मंत्रालय ने कमलनाथ के बारे में किसी भी तरह की जानकारी रखने वाले व्यक्तियों, समूहों और संगठनों को बुलाया है। केस एफआईआर संख्या 601/84 पर आधारित है। यह उन सात मामलों में से एक है जिन्हें फिर से खोला गया है। यह उन गवाहों के बयान पर आधारित है जिन्होंने दावा किया था कि नाथ सिख विरोधी उस भीड़ में शामिल थे जिन्होंने गुरुद्वारा रकाबगंज को सीज कर दिया था।
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