दूध मे विटामिन ए एवं डी के फोर्टीफिकेशन के सम्बन्ध में दुग्ध उत्पादकों की कार्यशाला का आयोजन
हमें कोई भी सपना पूरा करने के लिए स्वस्थ रहना होगा- डा0 अनिता भटनागर जैन
नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड के अनुसार भारत में 70 प्रतिशत से ज्यादा 5 वर्ष की आयुके बच्चे विटामिन-डी की कमी से ग्रसित-डा0 अनिता भटनागर जैन
लखनऊ-बच्चे, युवा, महिलाएं स्वस्थ हों इसके लिए आहार में पोषक तत्वों का होना जरूरी है। दूध कंपनियां समितियां और दूध का उत्पादन करने वाले लोग कई तरह के उत्पाद बेच रहे हैं पर एैसा प्राय देखने मे आया है कि महगे वाले दूध को छोड दिया जाये तो अन्य दूध मे विटामिन ए और विटामिन डी जैसे महत्वपूर्ण तत्व नहीं होते।
खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन, लखनऊ द्वारा आज विश्व खाद्य दिवस के अवसर पर दूध मे विटामिन ए एवं डी के फोर्टीफिकेशन के सम्बन्ध में दुग्ध उत्पादकों की एक कार्यशाला का आयोजन किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता अपर मुख्य सचिव डॉ. अनीता भटनागर जैन ने की। इस मौके पर उन्होंने कहा कि खाद्य पदार्थों में पोषक तत्व मिलाकर हम कुपोषण से बच सकते हैं। जो कंपनियां अभी तक दूध में पोषक तत्व नहीं मिला रही हैं उनको 10 नवम्बर तक यह कार्य शुरू करने को कहा गया है।
इस अवसर पर डा0 अनिता भटनागर जैन अपर मुख्य सचिव, खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन द्वारा अवगत कराया गया कि नेशनल फैमली सर्वे के अनुसार भारत में 5 वर्ष से कम आयु के बच्चे 38.4ः बौने, 35.7ः अण्डर वेट एवं 31ः ओवरवेट हैं। नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड (एन0डी0डी0बी0) के अनुसार भारत में 70ः से ज्यादा 5 वर्ष की आयु के बच्चे विटामिन-डी की कमी से ग्रसित है व 57ः बच्चे विटामिन-ए की कमी से ग्रसित है। नेशनल फेमली हेल्थ सर्वे के अनुसार 58.4 प्रति0 बच्चे जो 6 माह से 5 वर्ष के बीच में हैं एनीेमिया से ग्रसित हैं। 53.3ः महिलायें, 27.7ः पुरूष भी एनीमिया से ग्रसित हैं। हम जैसा खाते हंै वैसे ही बनते हैं। हमें कोई भी सपना पूरा करने के लिए स्वस्थ रहना होगा। हमें स्वास्थ रहने के लिये सही मात्रा में विटामिन्स की अत्यन्त आवश्यकता होती है।
फोर्टिफिकेशन की प्रक्रिया के माध्यम से विटामिन-ए एवं विटामिन-डी माइक्रोन्यूट्रीएन्ट को दूध की कुछ श्रेणियों में प्रीमिक्स के माध्यम से मिलाया जा सकता है। विटामिन-ए एवं विटामिन-डी की कमी के कारण अनेक बीमारियों की सम्भावनायें बढ़ जाती हैं। जैसे- नेत्र सम्बन्धी, हृदय रोग, कैंसर आदि व हड्डियाँ, दाँत व मसल भी कमजोर हो सकते हैं। FSSAI भारत सरकार के दिशा निर्देशों के क्रम में प्रदेश में खाद्य तेलों के फोर्टिफिकेशन का कार्य कराया जा रहा है व अल्प अवधि में ही अब 6.12 लाख मीट्रिक टन फोर्टिफाइड खाद्य तेल का उत्पादन प्रदेश में हो रहा है।
फोर्टिफाइड खाद्य पदार्थो को नीले रंग के +F के लोगो से पहचाना जा सकता है। कार्यशाला में भाग ले रहे दुग्ध उत्पादकों से विचार-विमर्श कर दिनांक 10 नवम्बर, 2019 तक प्रदेश की विभिन्न डेरी में तकनीकी प्रशिक्षण कराने की रणनीति तय की गयी है।
कार्यशाला में के0एच0पी0टी0 के प्रतिनिधियों द्वारा तकनीकी जानकारी दी गयी। यह अवगत कराया गया कि मुख्यतः भारतवर्ष में खाद्य तेल, दूध में विटामिन-ए एवं डी तथा चावल, गेहूॅ के आटे में आयरन, फोलिक एसिड एवं विटामिन बी-12 तथा खाद्य नमक में आयोडीन एवं आयरन फोलिक एसिड का फोर्टिफिकेशन किया जाता है। उक्त फोर्टीफाईड खाद्य पदार्थो की पैकिंग पर +F का लोगो एवं ^^Fortified with Vitamin A and D^^ तथा ‘‘सम्पूर्ण पोषण स्वस्थ जीवन‘‘ अंकित किया जाये। माइक्रोन्यूट्रिएन्ट्स प्रिमिक्स के बारे में भी विस्तार से बताया तथा साथ ही यह भी बताया गया कि केवल Standardised Milk टोन्ड, डबल टोन्ड मिल्क आदि) का ही फोर्टिफिकेशन किया जाता है। फुल क्रीम मिल्क तथा गाय के दूध में फोर्टिफिकेशन की आवश्यकता नही होती है। श्री कृष्णा राव, प्रतिनिधि हेरीटेज फूड लिमिटेड, आन्ध्र प्रदेश द्वारा अपनी यूनिट में किये जा रहे फोर्टिफिकेशन के अनुभव को साझा किया गया।
उक्त कार्यशाला में अपर मुख्य सचिव के अलावा श्रीमती मिनीस्ती एस0, आयुक्त, खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग मुख्यालय के वरिष्ट अधिकारी व समस्त मण्डलों के सहायक आयुक्त खाद्य उपस्थित रहे तथा प्रदेश के मुख्य दुग्ध उत्पादक अमूल डेयरी, पराग डेयरी, ज्ञान, नमस्ते इण्डिया, श्याम डेरी-इलाहाबाद, जीवन आनन्द-हरदोई, मिलन डेयरी-आगरा, पूर्वाचल एग्रो-गाजीपुर आदि भी सम्मिलित रहे।
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