कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण से दुनियाभर के 200 से ज्यादा देश परेशान हैं। हर दिन कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं और इससे होने वाली मौतों का आंकड़ा भी बढ़ता जा रहा है। इस बीच कोरोना की वैक्सीन बनाने में दुनियाभर के वैज्ञानिक लगे हुए हैं। भारत, ब्रिटेन, रूस समेत कई देशों में डेढ़ दर्जन से ज्यादा वैक्सीन ह्यूमन ट्रायल के फेज में पहुंच चुकी है। जबतक वैक्सीन नहीं आ जाती, तबतक इस संकट से निपटने के लिए पहले से उपलब्ध दवाओं से इसका इलाज किया जा रहा है। इस बीच भारतीय दवा नियामक डीजीसीआई ने पहले से उपलब्ध एक वैक्सीन को कोरोना के इलाज में इस्तेमाल करने की सशर्त अनुमति दे दी है। सांस की तकलीफ बढ़ने पर कोरोना मरीजों को यह वैक्सीन दी जा सकेगी।
ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने कोरोना वायरस के इलाज के लिए जिस 'इटोलीजुमैब' इंजेक्शन के सशर्त इस्तेमाल को मंजूरी दी है, उसका इस्तेमाल त्वचा से संबंधित बीमारी सोरायसिस के लिए किया जाता है। हालांकि इस वैक्सीन का इस्तेमाल डॉक्टर की विशेष निगरानी में ही किया जा सकेगा। ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने कोरोना वायरस के इलाज के लिए जिस 'इटोलीजुमैब' इंजेक्शन के सशर्त इस्तेमाल को मंजूरी दी है, उसका इस्तेमाल त्वचा से संबंधित बीमारी सोरायसिस के लिए किया जाता है। हालांकि इस वैक्सीन का इस्तेमाल डॉक्टर की विशेष निगरानी में ही किया जा सकेगा।
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