लखनऊ-प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) की प्रदेश कार्यकारिणी की एक दिवसीय बैठक बुधवार को राज्य व केंद्र सरकार की नीतियों पर तीखे हमले करने के साथ ही वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटने के आह्वान के साथ संपन्न हो गई।
प्रसपा प्रदेश मुख्यालय में प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक शिवपाल यादव की अध्यक्षता में शुरू हुई। उन्होंने उत्तर प्रदेश विधानसभा के 2022 में होने वाले चुनाव के लिए अभी से जुटने और प्रसपा के प्रभावी नेतृत्व वाली सरकार बनाने का आह्वान किया।
शिवपाल यादव ने गैर भाजपा दलों की एकजुटता का आह्वान किया। लेकिन शिवपाल यादव ने यह भी कहा कि प्रसपा का स्वतंत्र अस्तित्व बना रहेगा और पार्टी विलय जैसे एकाकी विचार को एक सिरे से खारिज करती है और अपने पार्टी पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं को यह विश्वास दिलाती है कि उनके सम्मान के साथ कोई समझौता नहीं किया जाएगा।
शिवपाल यादव ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने गांव, गरीब, किसान, पिछड़े, दलित, व्यवसायी, मध्यवर्ग और युवाओं को सिर्फ छला है।
सरकार शिक्षा, सुरक्षा, सम्मान, रोजगार और इलाज उपलब्ध करा पाने में पूर्णतया नाकामयाब रही है। बेटियों को सुरक्षा और न्याय न दे पाने की वजह से जनता में सरकार के खिलाफ बहुत गुस्सा है।
करीब साढ़े चार घंटे चली बैठक में राष्ट्रीय महासचिव रामनरेश यादव ने राजनीतिक एवं आर्थिक प्रस्ताव पेश किया। बौद्धिक सभा के अध्यक्ष दीपक मिश्र ने अनुमोदन उद्बोधन दिया। प्रस्ताव पर करीब 17 नेताओं ने अपनी राय रखी। प्रस्ताव पर विस्तार से चर्चा हुई। राष्ट्रीय महासचिव आदित्य यादव ने उत्तर प्रदेश स्पेशल सिक्युरिटी फोर्स के विरोध का प्रस्ताव रखा। प्रदेश प्रमुख महासचिव और पूर्व राज्य सभा सदस्य वीरपाल यादव ने कहा कि देश के हालात 1990 के आर्थिक संकट से में भयावह है।
पूर्व मंत्री कमाल युसुफ ने सच्चर कमिटी की सिफारिशें वर्तमान संदर्भ में लागू करने का प्रस्ताव रखा। पूर्व मंत्री शादाब फातिमा ने महिलाओं की सुरक्षा व सशक्तिकरण हेतु प्रदेश में नए कानून की मांग का समर्थन किया।
बैठक में पूर्व सांसद और विधायक रघुराज सिंह शाक्य, पूर्व मंत्री जय प्रकाश यादव, पूर्व मंत्री शारदा प्रताप शुक्ला, पूर्व मंत्री शिव कुमार बेरिया, पूर्व मंत्री जगवीर सिंह गुर्जर और प्रदेश अध्यक्ष सुंदर लाल लोधी ने अपने विचार रखे।
कार्यकारिणी ने प्रस्ताव में कहा है कि उत्तर प्रदेश में प्रति व्यक्ति आय मात्र 70,419 रूपये है जो भारत की औसत आय (1,34,432 रु0) की लगभग आधी और गोवा (4,75,532 रु0) की प्रति व्यक्ति आय से करीबन सात गुणी कम है। शीर्ष एक फीसदी अमीरों और गरीबों में 60 लाख गुणा अंतर है। इतनी व्यापक आर्थिक विषमता दुनिया में कहीं भी नहीं है। एनसीआरबी (गृह मंत्रालय) की प्रामाणिक अद्यतन रिपोर्ट के अनुसार प्रतिदिन 35 युवा बेरोजगार व 36 उद्यमी आत्महत्या के लिए अभिशप्त हैं।
कार्यसमिति एकांगी निजीकरण के सख्त खिलाफ है और खस्ता वित्तीय हालत व अकुशलता के नाम पर लाभ देने वाली अनेक सार्वजनिक प्रतिष्ठानों को औने-पौने दामों में बेचने की कवायदों का पुरजोर प्रतिकार करती है।
विगत 45 वर्षों में बेरोजगारी दर अपने अधिकतम स्तर पर है। सरकार इन राष्ट्रीय समस्याओं का समाधान करने की बजाय विदेशी व कुछ देशी पूंजीशाहों के अनुरूप अर्थतंत्र बनाने के षडयंत्र में लगी हुई है। हाल में अलोकतांत्रिक एवं अप्रिय तरीके से आनन-फानन में पारित कृषि विधेयकों के माध्यम से सरकार किसानों के हितों व सम्मान को पूंजीपतियों के दहलीज पर गिरवी रख चुकी है। यह सम्मेलन ऐसे विधेयकों को तत्काल वापस लेने अथवा किसानों के दृष्टिकोण से सकारात्मक संशोधन करने की मांग करता है।
कार्यकारिणी ने यह भी कहा है कि धरना, प्रदर्शन, सत्याग्रह आदि हमारे संविधानप्रदत्त मूलभूत लोकतांत्रिक नागरिक अधिकार हैं, जिनका सरकार पुलिस बल के दुरुपयोग से बर्बरतापूर्वक दमन कर रही है। हमारे छात्रों व युवाओं पर किया गया लाठी चार्ज पूरी तरह से अमानवीय व असैद्धांतिक कृत्य था। सम्मेलन में कार्यसमिति हाथरस में हुई घटना की घोर भत्र्सना करते हुए पीड़ितों के परिजनों के प्रति सांत्वना प्रकट करती है। प्रसपा की प्रदेश कार्यकारिणी नौकरियों के संविदाकरण के सख्त खिलाफ है। सरकार ने प्रसपा की जोरदार मांग पर संविदाकर्मियों को स्थाई सेवा प्रदान करने की घोषणा की थी किन्तु अब स्थाई सेवाओं को भी संविदा पर आधारित किया जा रहा है। प्रतिभाओं को योग्यतानुसार काम और काम के अनुरूप वेतन-भत्ता प्रदान करना लोककल्याणकारी शासन प्रणाली का कर्तव्य है। यह सरकार अधिकारों का अधिकतम भोग करते हुए कर्तव्यों का न्यूनतम निर्वाह कर रही है।
प्रांतीय कार्यसमिति "हर घर में एक रोजगार" और समान शिक्षा नीति की संस्तुति करती है। सबको गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, शिक्षोपरान्त रोजगार तथा सेवानिवृत्ति पश्चात पुरानी पेंशन मिलनी चाहिए।
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