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सृजन शक्ति वेल्फेयर सोसाइटी ने मुंशी प्रेमचंद को किया याद,मनाई 84वीं पुण्य तिथि

सृजन शक्ति वेल्फेयर सोसाइटी ने मुंशी प्रेमचंद को किया याद,मनाई 84वीं पुण्य तिथि

2020-10-08 22:58:10
सृजन शक्ति वेल्फेयर सोसाइटी ने मुंशी प्रेमचंद को किया याद,मनाई 84वीं पुण्य तिथि

लखनऊ- सृजन शक्ति वेल्फेयर सोसाइटी संस्था द्वारा हिंदी के महान कथाकार मुंशी प्रेमचंद की 84वीं पुण्य तिथि के अवसर पर "मुंशी प्रेमचंद का साहित्य एवं सिनेमा" विषय पर एक आनलाइन परिचर्चा का आयोजन किया गया। इस परिचर्चा में देश के वरिष्ठ रंगकर्मियों, फ़िल्म कारों एवं शिक्षा विदों ने भाग लिया। कार्यक्रम के प्रारंभ में देश के सुप्रसिद्ध रंगकर्मी, लेखक एवं भूतपूर्व निदेशक दूरदर्शन विलायत जाफरी जी, जिनका गत 5 अक्टूबर को लम्बी बीमारी के बाद निधन हो गया, को श्रद्धांजलि अर्पित की गयी। सभा में उपस्थित सभी रंगकर्मियों ने जाफरी के सरल स्वभाव एवं रंगकर्म के प्रति उनकी निष्ठा की सराहना की गयी। बताया गया कि श्री जाफरी, अपने व्यस्त कार्यक्रम से समय निकाल कर, नगर में होने वाले अधिकतर नाटकों को देखने आते थे एवं कलाकारों को प्रोत्साहित करते थे।
मुंशी प्रेमचंद को पुष्पांजलि अर्पित करते हुये, महासचिव, सीमा मोदी ने कहा कि संस्था अब तक मुंशी
जी की पुण्य तिथी पर प्रति वर्ष उनकी कहानियों मंचन आयोजित करती थी किन्तु कोरोना के कारण इस वर्ष ऐसा करना संभव नहीं हो सका है।
अतः हमने ये परिचर्चा आयोजित की है। उन्होंने कहा कि नगर में हो रही फ़िल्म की गतिविधियों एवं उत्तर प्रदेश में प्रस्तावित फ़िल्म सिटी की चर्चा के बीच, इस अवसर पर मुंशी प्रेमचंद के
साहित्य का फ़िल्मों से संबंध, एक सार्थक, विषय है।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए वरिष्ठ रंगकर्मी के के अग्रवाल ने कहा कि मुंशी प्रेमचंद के उपन्यासों एवं कहानियों पर मृणाल सेन, सत्यजित रे, हृषीकेश मुखर्जी, गुलज़ार, जैसे देश के महान निर्देशकों ने फ़िल्में एवं सीरियल बनाये और इनमें बलराज साहनी, निरूपा राय, सुनील दत्त, अमजद खां, राजकुमार, संजीव कुमार, ओम पुरी, स्मिता पाटिल, शबाना आज़मी जैसे कलाकारों ने काम किया।
खेद का विषय है कि इन सब कहानियों और उपन्यासों का उपयोग उनकी मृत्यु के बाद ही हुआ।
चर्चा में भाग लेते हुए, वरिष्ठ रंग कर्मी चित्रा मोहन ने कहा कि मुंशी प्रेमचंद आदर्श वाद एवं यथार्थ वाद का समन्वय करने वाले ऐसे कथा चितेरे थे जो हिंदी एवं उर्दू दोनों भाषाओं में लिखते थे।
फ़िल्म कार वामिक खान का मानना था कि मौजूदा हालात में उनकी कहानियां फ़िल्मों के लिए आज भी प्रासंगिक हैं। प्रसिद्ध अभिनेत्री श्रीमती संध्या रस्तोगी का विचार था कि दृष्यात्मकता प्रेमचंद जी की कहानियों का सहज गुंण है जो सिनेमा के लिए वरदान है।
इस कार्यक्रम में सन्स्था से नवनीत मिश्रा, कौशिक, बिमला बरनवाल, अभिषेक, राज ,दुर्गेश शामिल रहे।

 


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