lucknow-झांसी में दिनदहाड़े शहर के बीचोबीच सरकारी पॉलीटेक्निक कॉलेज के हॉस्टल में कानून व्यवस्था और सुरक्षा के तमाम दावों की धज्जियां उड़ा दी गईं। कोचिंग से लौट रही छात्रा अपने दोस्त से बात कर रही थी इसी बीच पॉलीटेक्निक के करीब 10 से 15 छात्र दरिंदों की तरह उन्हें हॉस्टल में खींचकर ले गए। झांसी प्रकरण का स्ंवत संज्ञान उत्तर प्रदेश राज्य मानवाधिकार आयोग ने लिया है। आयोग ने झांसी के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को 4 सप्ताह में इस घटना की जांच कराकर जांच आख्या मानवाधिकार आयोग के समक्ष प्रस्तुत करने के निर्देश दिये हैं।
छात्रा गिड़गिड़ाते रही, लेकिन किसी का दिल नहीं पसीजा। ग्वालियर हाईवे को जोड़ने वाली सड़क पर दिन भर जबरदस्त आवाजाही रहती है, लेकिन सड़क से हॉस्टल के अदंर तक बेटी की चीखें किसी को सुनाई नहीं दीं। कानून के रखवालों का रसूख और डर नहीं दिखा। वाकया जिसने भी सुना वह पूछ रहा था कि क्या बेटियां पढ़ाई छोड़ दें या सड़कों पर निकलना छोड़ दें। अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस पर यह सवाल और भी शर्मसार कर रहा था।
अनलॉक के बाद बेटी ने महीनों बाद घर से निकलना शुरू किया था। वो अपनी पढ़ाई नियमित शुरू होने से खुश थी। कोचिंग में पढ़कर अभी वह पॉलीटेक्निक कॉलेज के पास पहुंची थी। रास्ते में सहपाठी से बात करने के लिए रुक गई। रोज की तरह वहां झुंड में घूम रहे पॉलीटेक्निक के करीब 12 से 15 छात्र उन्हें देख वहां पहुंच गए और दोनों को घेर लिया।
फिर शुरू हुआ घिनौना खेल। बिना किसी की परवाह किए पॉलीटेक्निक कॉलेज के छात्र अचानक हैवान बन गए। तकरीबन आधे घंटे तक पॉलीटेक्निक के छात्रावास में बेटी की चीखें गूंजती रहीं। बेटी आरोपी छात्रों से रहम की भीख मांगती रही। उसने आरोपी छात्रों को भैया तक कहकर संबोधित किया और पैरों पर गिरकर गिड़गिड़ाती रही, लेकिन आरोपियों पर हैवानियत सवार थी। उनका दिल नहीं पसीजा। इस दौरान आरोपियों ने दोनों से दो हजार रुपये भी वसूले। अश्लील वीडियो भी बनाया।
इधर इस मामले मे उत्तर प्रदेश राज्य मानवाधिकार आयोग ने संज्ञान लेते हुये झांसी के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को 4 सप्ताह में इस घटना की जांच कराकर जांच आख्या मानवाधिकार आयोग के समक्ष प्रस्तुत करने के निर्देश दिये हैं। उ0प्र0 राज्य मानवाधिकार आयोग के सदस्य न्यायमूर्ति के0पी0 सिंह ने यह जानकारी देते हुए बताया कि झांसी में नाबालिग बच्ची से दुष्कर्म काण्ड को आयोग को प्रथम दृष्टया ही इसे मानवाधिकार हनन का प्रत्यक्ष उदाहरण माना है। मानवाधिकारों की रक्षा के लिए ही आयोग ने यह कदम उठाया है।
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