बिकरू कांड में निलंबित किए गए तत्कालीन एसएसपी अनंत देव शुरू से ही सवालों के घेरे में रहे। चैबेपुर एसओ पर कार्रवाई ना करना जय बाजपेई से दोस्ती का उन्हे खामियाजा उठाना पडा है। अनंत देव करीब दो साल तक शहर में एसएसपी रहे।
एसओ की मुखबिरी की वजह से विकास दुबे ने अपने साथियों के साथ मिलकर सीओ समेत आठ पुलिस वालों को निशाना बनाया। जांच में ये भी सामने आया कि जय बाजपेई से अनंत देव की करीबी रही।आपराधिक इतिहास होते हुए जय लाइसेंसी असलहे रखता था और अवैध संपत्ति अर्जित करने में तत्कालीन एसएसपी की शह रहती थी। इसके अलावा विकास दुबे पर दर्ज रंगदारी व अन्य धाराओं के केस में चौबेपुर पुलिस ने रंगदारी की धारा हटा दी थी। इसकी जानकारी सीओ ने एसएसपी को दी थी मगर उस पर भी कोई कार्रवाई नहीं की गई। एसआईटी ने इन तथ्यों को जांच में शामिल किया।
बिकरू कांड से संबंधित तीस से अधिक कॉल रिकॉर्डिंग्स अब तक वायरल हो चुकी हैं। इसमें अधिकतर रिकार्डिंग सीओ की हैं। ज्यादातर रिकॉर्डिंग में सीओ ने खुलकर अनंत देव पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया। चाहे वो एक पूर्व डीजीपी से बातचीत की रिकॉर्डिंग हो या वर्तमान एसपी ग्रामीण से। इसके अलावा भी कई विवादित रिकॉर्डिंग वायरल हुईं, जिनमें अनंत देव पर आरोप लगे हैं। एसआईटी की जांच में इन सभी आरोपों पर मुहर लगी है। बाकी विभागीय जांच में आगे तथ्य समाने आएंगे।
सीओ देवेंद्र मिश्र ने एक पत्र एसएसपी को भेजा था। इसमें आरोपी एसओ विनय तिवारी पर जुआ खिलाने और विकास दुबे का साथ देने का आरोप था। उसी आधार पर उसको हटाने की सिफारिश सीओ ने की थी। बिकरू कांड के बाद ये पत्र वायरल हुआ था। अनंत देव ने खंडन किया था कि पत्र फर्जी है और उन्हें मिला ही नहीं। मगर पहली जांच जब आईजी रेंज लखनऊ ने की थी तब खुलासा हुआ था कि पत्र सही था। वहीं एसआईटी ने इसको जांच में शामिल किया। एसआईटी ने भी ये पत्र सही पाया और अनंत देव का दावा झूठा निकला।
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