आत्मनिर्भर भारत अभियान के अन्तर्गत प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना तथा मत्स्य पालकों के लिए किसान के्रडिट कार्ड की सुविधा लागू की गई
उत्पादकता व मत्स्य उत्पादन वृद्धि हेतु 188 इन्फ्रास्ट्रक्चर इकाईयां स्थापित की गयी
अन्र्तस्थलीय मत्स्य उत्पादन में मत्स्य विभाग देश में तृतीय स्थान पर देश में दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में प्रदेश प्रथम स्थान पर
मुख्य मंत्री सहभागिता योजनान्तर्गत 34218 लाभार्थियों को 65353 गोवंश सुपुर्दगी में दिये गये-कैबिनेट मंत्री श्री लक्ष्मी नारायण चैधरी
लखनऊ -उत्तर प्रदेश के पशुधन, मत्स्य विकास एवं दुग्ध विकास कैबिनेट मंत्री लक्ष्मी नारायण चैधरी आज यहां, लोक भवन के मीडिया सेन्टर में पशुपालन एवं मत्स्य विभाग के विकास कार्यों व उपलब्धियों के सम्बंध में पत्रकार वार्ता को सम्बोधित किया। इस अवसर पर उन्होंनें मछुओं, मत्स्य पालकों, मत्स्य उद्यमियों एवं मत्स्य गतिविधियों से जुडे़ व्यक्तियों के आधारभूत आंकड़ों के लिए उनका पंजीकरण एवं विभाग की गतिविधियों से उन्हें जोड़ने के उद्देश्य से मत्स्य विभाग द्वारा विकसित मोबाईल एप ‘‘यू0पी0 फिश फार्मर’’ का लोकार्पण किया। यह एप गूगल के प्ले स्टोर पर निःशुल्क उपलब्ध होगा। इस एप के माध्यम से उन्हें मुख्यतः मत्स्य कृषक के्रडिट कार्ड, निःशुल्क मछुआ दुर्घटना बीमा योजना और भारत सरकार द्वारा मछुआ समुदाय के व्यक्तियों को समय-समय पर उपलब्ध कराये जाने वाली कल्याणकारी योजनाओं से लाभान्वित किया जायेगा।
इस अवसर पर लक्ष्मी नारायण चैधरी ने बताया कि भारत सरकार द्वारा विगत 21 नवम्बर को विश्व मात्स्यिकी दिवस के अवसर पर बेस्ट स्टेट कैटेगरी के अन्तर्गत उ0प्र0 को देश का बेस्ट स्टेट फार इनलैण्ड फिशरीज घोषित करते हुए प्रथम पुरस्कार के रूप में रु0 दस लाख का चेक, प्रशस्ति पत्र एवं स्मृति चिन्ह प्रदान किया गया।
प्रदेश में मात्स्यिकी से जुडे़ व्यक्तियों के लिए आत्मनिर्भर भारत अभियान के अन्तर्गत वर्ष 2020-21 से 2024-25 की अवधि हेतु प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना तथा मत्स्य पालकों के लिए किसान के्रडिट कार्ड की सुविधा लागू की गई है।वर्ष 2019-20 में प्रदेश का मत्स्य उत्पादन 5.74 वार्षिक वृद्धि दर से 6.99 लाख टन हुआ है तथा प्रदेश की जी0डी0पी0 में मत्स्य उत्पादन का योगदान 0.37 प्रतिशत है। अन्र्तस्थलीय मत्स्य उत्पादन में मत्स्य विभाग देश में तृतीय स्थान पर है। वर्ष 2020-21 के लिये प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजनान्तर्गत कुल धनराशि रू0 406.096 करोड़ के परियोजना प्रस्ताव भारत सरकार को केन्द्रांश धनराशि रू0 124.28 करोड़ अवमुक्त करने हेतु प्रेषित किये गये।
विगत तीन वर्षों में भारत सरकार के सहयोग से संचालित केन्द्र पुरोनिधानित योजनाओं में केन्द्र सरकार से रू0 71.92 करोड़ का केन्द्रांश प्राप्त किया गया है, जिसके सापेक्ष भारत सरकार को रू0 47.63 करोड़ केन्द्रांश धनराशि के उपभोग प्रमाण पत्र उपलब्ध कराये गये। 6.28 वार्षिक वृद्धि दर से प्रदेश में 30287.81 लाख मत्स्य बीज का उत्पादन वर्ष 2019-20 में किया गया है तथा प्रदेश के बाहर मेजर कार्प मत्स्य बीज निर्यात किया जा रहा है।
नीली क्रान्ति योजना के अन्तर्गत प्रदेश में सघन मत्स्य पालन के माध्यम से मत्स्य उत्पादकता व मत्स्य उत्पादन वृद्धि हेतु 188 इन्फ्रास्ट्रक्चर इकाईयां स्थापित की गयी जिसमें मुख्यतः रिसर्कुलेटरी एक्वाकल्चर सिस्टम, मत्स्य बीज हैचरी, लघु एवं वृहद मत्स्य आहार मिलों की निजी क्षेत्र में स्थापित करायी गयी। तीन वर्षों में 2215 मछुआ आवास सक्रिय मत्स्य पालकों को आवंटित किये गये।
प्रदेश में मथुरा, अलीगढ़ क्षेत्र में खारे पानी के कारण अनुपयोगी भूमि को उपयोग करते हुये श्रिम्प (खारे जल की झींगा प्रजाति) फार्मिंग का उत्पादन सफलता पूर्वक प्रारंभ हो चुका है, जिसके लिये आगामी पांच वर्षों के लिए 4000 हे0 में बै्रकिश वाटर में फिश फार्मिंग हेतु रू0 588.00 करोड़ की योजना केन्द्र सरकार का प्रेषित की गयी है। मछली की बिक्री हेतु कोल्ड चेन हेतु मत्स्य विक्रेताओं को 510 मोटर साइकिल विद आइस बाक्स उपलब्ध करायी गयी, जिनका उपयोग लाकडाउन के दौरान मत्स्य विक्रेताओं को मत्स्य बिक्री में लाभदायक रहा। साथ ही 1,34,014 मछुआरों को मछुआ दुर्घटना बीमा योजनान्तर्गत पंजीकृत कर आच्छादित किया गया।
विगत तीन वर्षों में मत्स्य पालन क्षेत्र के विस्तार हेतु 21237 व्यक्तियों को मत्स्य पालन हेतु 19563.02 हे0 क्षेत्रफल के ग्राम सभा के तालाबों के पट्टे उपलब्ध कराये गये तथा निजी क्षेत्र के 780 व्यक्तियों को तालाब निर्माण हेतु राजकीय सहायता प्रदान की गयी।मत्स्य बीज उत्पादन हेतु निजी क्षेत्र के व्यक्तियों को राजकीय सहायता प्रदान करते हुए 49 मत्स्य बीज हैचरी, 385 मत्स्य बीज रियरिंग यूनिट निर्मित करायी गयी हैं। 4786 मत्स्य पालकों को धनराशि रू0 48.12 करोड़ के किसान के्रडिट कार्ड उपलब्ध कराये गये। राष्ट्रीय कृषि विकास योजनान्तर्गत विगत 03 वर्षों में तालाब सुधार, रियरिंग यूनिटों की स्थापना एवं रिसर्कुलेटरी एक्वाकल्चर सिस्टम के निर्माण परियोजनाओं हेतु कुल रू0 24.01 करोड़ की धनराशि प्राप्त हुयी है, जिसके सापेक्ष कुल रू0 15.01 करोड़ का व्यय करते हुए 362.77 हे0 क्षेत्रफल को मत्स्य पालन से आच्छादित किया गया।
राजस्व विभाग के माध्यम से प्रदेश की नदियों में मत्स्य प्रबन्धन व्यवस्था हेतु नीति का प्रख्यापन किया गया है, जिससे नदियों के किनारे रहने वाले मछुआ समुदाय के समिति सदस्यों का आर्थिक स्वावलंबन तथा नदियों में जीव विविधता व संरक्षण जैसी गतिविधियों को प्रोत्साहन मिलेगा।
मा0 नेशनल ग्रीन टेªब्यूनल द्वारा पारित आदेश के क्रम में प्रतिबंधित मछली थाई मांगुर, अफ्रीकन कैट फिश के रोकथाम हेतु मत्स्य विभाग, उ0प्र0 द्वारा व्यापक कार्यवाही की गयी तथा प्रदेश के विभिन्न जनपदों में 1700 टन मछली का विनिष्टीकरण कराया गया।
पशुधन मंत्री लक्ष्मी नारायण चैधरी जी ने बताया कि देश में दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में प्रदेश प्रथम स्थान पर है। वर्ष 2019-20 में 318.20 लाख मी0टन दुग्ध उत्पादन कर देश में राज्य प्रथम स्थान पर है। वर्ष 2020-21 में माह अक्टूबर 2020 तक 168.90 लाख मी0टन दुग्ध उत्पादन किया गया है।वर्ष 2019-20 में 30950 लाख अण्डों का उत्पादन किया गया था तथा वर्ष 2020-21 में माह अक्टूबर तक 17200.00 लाख अण्डों का उत्पादन किया गया है।प्रदेश में 96.56 लाख अतिरिक्त अण्डा प्रतिदिन उत्पादित हो रहा हैं तथा 89900 व्यक्तियों को रोजगार मिला है। नीति अन्तर्गत अद्यतन प्रदेश में रू0 1055.34 करोड़ का निवेश हुआ है।
पशुधन मंत्री ने बताया कि गोवंशीय पशुओं में वर्गीकृत वीर्य के उपयोग से 1125 मादा संतति एवं उच्च गुणवत्तायुक्त 150 नर संतति सहित कुल 1275 संतति उत्पन्न हुई है। योजनान्तर्गत मादा संतति उत्पन्न होने का प्रतिशत 88.23 है।
योजना के सफलता के दृष्टिगत इस कार्यक्रम को प्रदेश के समस्त जनपदों में संचालित किये जाने का निर्णय मंत्रिपरिषद से लिया गया है। ‘‘सेक्सड सीमेन के उपयोग की योजना’’ के अन्तर्गत प्रदेश के समस्त जनपदों में साहीवाल, गिर, थारपारकर, गंगातीरी व हरियाणा प्रजाति के वर्गीकृत वीर्य के स्ट्राज उपलब्ध कराकर कृत्रिम गर्भाधान कार्य प्रारंभ करा दिया गया है। वर्ष 2020-21 में 317460 वर्गीकृत वीर्य से कृत्रिम गर्भाधान किये जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, जिसके सापेक्ष अद्यतन 23408 कृत्रिम गर्भाधान किया गया है।
पशुधन मंत्री ने बताया कि वर्ष 2018-19 एवं 2019-20 में प्रदेश के निराश्रित/बेसहारा गोवंश की समस्या के निराकरण हेतु बुन्देलखण्ड क्षेत्र के 07 जनपदों को छोडकर प्रदेश के शेष 68 जनपदों में 164 वृहद् गो-संरक्षण केन्द्र का निर्माण कराया जाना लक्षित है जिसके सापेक्ष 114 केन्द्रों का निर्माण कार्य पूर्ण है। प्रदेश में बुन्देलखण्ड क्षेत्र में निराश्रित गोवंश की समस्या के निराकरण हेतु बुन्देलखण्ड के प्रत्येक जनपद मे 05-05 गो-आश्रय केन्द्र स्थापित/क्रियाशील है। इस कार्य हेतु शासन द्वारा कुल रू0 10.00 करोड़ की धनराशि उपलब्ध करायी गयी है।
पशुधन मंत्री ने बताया कि वर्ष 2018-19 एवं 2019-20 में बुन्देलखण्ड क्षेत्र में 23 गोवंश वन्य विहार की स्थापना किया जाना लक्षित है जिसके सापेक्ष 12 गोवंश वन्य विहार का निर्माण कार्य पूर्ण है तथा शेष 11 केन्द्रों का निर्माण कार्य प्रगति पर है। प्रदेश में स्वदेशी पशुओं (गंगातीरी) के संरक्षण एवं संर्वधन हेतु जनपद वाराणसी में गोकुल ग्राम की स्थापना की गयी है । प्रदेश में अद्यतन कुल 5173 आश्रय स्थलों अस्थायी/स्थायी/कांजी हाउस/कान्हा उपवन केन्द्र संचालित हैं, जिसमें से कुल 524238 गोवंशीय पशु संरक्षित किये गये है।
पशुधन मंत्री ने बताया कि मा0 मुख्य मंत्री सहभागिता योजनान्तर्गत 34218 लाभार्थियों को 65353 गोवंश सुपुर्दगी में दिये गये है। गोपाष्टमी पर्व के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में प्रदेश में 300 गोवंशीय पशु सुपुर्दगी योजनान्तर्गत पशुपालको को सुपुर्द किये गये है। प्रदेश में संरक्षित गोवंश के चारे-भूसे की उपलब्घता बनी रहे, इस हेतु कुल 3444 भूसा बैंक स्थापित किये जा चुके है। कुल 1108 पशु आश्रय स्थलों पर जैविक खाद्य् तैयार की जा रही है। प्रदेश के आश्रय स्थलों पर अद्यतन कुल 262412 कुन्तल पराली का भंडारण किया गया है। प्रदेश में पोषण मिशन के अन्तर्गत अद्यतन 1178 कुपोषित परिवारों को कुल 1184 गोवंश उपलब्घ कराकर लाभान्वित किया गया है। गोपाष्टमी पर्व के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में प्रदेश के 134 कुपोषित परिवारों को गोवंश उपलब्ध कराये गये है।
श्री चैधरी ने बताया कि प्रदेश में अतिरिक्त चारा विकास कार्यक्रम (आर0के0वी0वाई0) के अन्तर्गत रबी में 9588.45 कुन्तल जई चारा बीज का आवंटन किया गया है जिसमें से निशुल्क 3768 कुन्तल जई चारा बीज, 5086.80 कुन्तल यूरिया व 2637.60 कुन्तल डी0ए0पी0 खाद् का वितरण 37680 लाभार्थियों में किया गया है। 5820.45 कुन्तल जई चारा बीज की बिक्री रू0 35 प्रति किलो की दर से की गयी है। अतिरिक्त चारा विकास कार्यक्रम अन्तर्गत 79.65 कुन्तल बरसीम का चारा बीज रू0 150 प्रति किलो की दर से बिक्री किया गया है।
गोवंशीय एवं महिषवंशीय पशुओं में कुल 237.08 लाख टैगिंग का कार्य किया गया है जिसके सापेक्ष 84.18 लाख पशुओं का पंजीकरण इनाफ पोर्टल पर अपलोड किया गया है। मुख्यमंत्री जी की घोषणा के अन्तर्गत 14 नवीन पशुचिकित्सालयों का निर्माण कराया जाना लक्षित है जिसके सापेक्ष 13 पशुचिकित्सालयेां का निर्माण कार्य पूर्ण हो गया है जबकि 01 पशुचिकित्सालय का निर्माण कार्य प्रगति पर है।
प्रेस वार्ता में पशुधन, मत्स्य विकास एवं दुग्ध विकास के प्रमुख सचिव भुवनेश कुमार, सूचना विभाग के निदेशक शिशिर उपस्थित थे। इसके अतिरिक्त पशुधन विभाग की विशेष सचिव सुश्री मंजू लता, मत्स्य विभाग के विशेष सचिव, एस0एम0ए0 रिजवी, पशुधन विभाग के निदेशक, रोग नियंत्रण एवं प्रक्षेत्र डाॅ0 यू0पी0 सिंह, मत्स्य विभाग के निदेशक एस0के0 सिंह तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
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