भाजपा सरकार ने किया 59 हजार करोड़ की छात्रवृत्ति व्यवस्था
लखनऊ-भारतीय जनता पार्टी लखनऊ महानगर द्वारा कैसरबाग कार्यालय पर आयोजित प्रेसवार्ता को सम्बोधित करते हुये उ0प्र0 सरकार के समाज कल्याण मंत्री रमापति शास्त्री ने कहा कि केन्द्रीय मंत्रिमण्डल ने पहले पांच वषों में पांच करोड़ से अधिक अनुसूचित जाति के छात्रों को लाभ पहुंचाने के लिये अनुसूचित जाति से संबंधित छात्रों के लिये मैट्रिकोत्तर छात्रवृति (पीएमएस-एससी) की केन्द्र प्रायोजित स्कीम बड़े और रूपान्तरात्मक परिवर्तनों के साथ अनुमोदित की है ताकि वे अपने उच्चतर शिक्षा को सफलतापूर्वक पूरा कर सकें।
मंत्रिमण्डल ने रू. उन्सठ हजार अड़तालिस करोड़ (रु. 59,048.00 करोड़) के कुल निवेश को अनुमोदन प्रदान किया है जिसमें से केन्द्र सरकार रु. पैंतीस हजार पांच सौ चैतीस करोड़ (रु. 35,534.00 करोड़) (60 प्रतिशत) खर्च करेगी और शेष राशि राज्य सरकारों द्वारा खर्च की जाएगी। यह स्कीम मौजूदा ‘‘प्रतिबद्ध देयता’’ प्रणाली को प्रतिस्थापित करेगी और इस महत्वपूर्ण स्कीम में केन्द्र सरकार की भागीदारी अधिक होगी।
एससी जनसंख्या के शैक्षिक सशक्तिकरण के क्षेत्र में एससी छात्रों के लिये मैट्रिकोत्तर छात्रवृत्ति स्कीम भारत सरकार का सर्वाधिक एकल हस्तक्षेप है। केन्द्र सरकार इन प्रयासों को और अधिक बढ़ाने के लिये प्रतिबद्ध है ताकि 5 वर्ष की अवधि के भीतर जीईआर (उच्चतर शिक्षा) राष्ट्रीय स्तर तक पहुंच सके।
मंत्रिमण्डल ने इस स्कीम के उपयुक्त कार्यान्वयन पर अधिक जोर दिया है ताकि समय पर भुगतान किया जा सके, व्यापक जवाबदेही, निरंतर निगरानी और पूर्ण पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सके। इस दिशा में मंत्रिमण्डल ने निम्नलिखित मुख्स संशोधन अनुमोदित किये हैं-
(क) गरीब से गरीब परिवारों के 10वीं कक्षा उत्तीर्ण छात्रों को अपनी इच्छानुसार उच्चतर शिक्षा पाठयक्रमों में नामित करने के लिये एक अभियान चलाया जाएगा। अनुमान है कि एक करोड़ छत्तीस लाख (1.36 करोड़) ऐसे सबसे गरीब छात्र जो वर्तमान में 10वीं कक्षा के बाद अपनी शिक्षा को जारी नहीं रख सकते हैं, को अगले पांच वर्षों में उच्चतर शिक्षा प्रणाली के अंतर्गत लाया जाएगा।
(ख) यह स्कीम सुहढ़ सुरक्षा उपयों के साथ आॅनलाइन प्लेटफार्म पर संचालित की जाएगी, जिससे पारदर्शिता, जवाबदेही, कार्य क्षमता तथा बिना विलम्ब के समयबद्ध सहायता सुनिश्चित होगी। राज्य पात्रता, जातिगत स्थिति, आधार पहचान तथा बैंक खाता के ब्योरे की आॅनलाइन पोर्टल पर अभेद्य जांच करेंगी।
(ग) इस स्कीम के अंतर्गत छात्रों को वित्तीय सहायता का आहरण डीबीटी मोड के माध्यम से और अधिमान्यता आधार सबल भुगतान प्रणाली को प्रयोग में लाकर किया जायेगा। वर्ष 2021-22 से प्रारंभ करते हुय इस स्कीम में केन्द्र का अंश (60 प्रतिशत) निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार छात्रों के बैंक खातों में डी.बी.टी. मोड के माध्यम में सीधे जारी किया जाएगा।
(घ) निगरानी तंत्र को और सुदृढ़ किया जाएगा और सोशल आॅडिट, तीसरे पक्ष द्वारा वार्षिक मूल्यांकन कराकर और प्रत्येक संस्थान की अर्ध-वार्षिक स्वतः लेखा परीक्षित रिपोर्टों के माध्यम से किया जाएगा।
केन्द्रीय सहायता जो वर्ष 2017-18 से वर्ष 2019-20 के दौरान लगभग रु. ग्यारह सौ करोड़ (रु. 1100.00 करोड़) प्रतिवर्ष थी, उसे वर्ष 2020-21 से 2025-26 के दौरान 5 गुना से अधिक बढ़ाकर लगभग रु. छह हजार करोड़ (रु. 6000.00 करोड़) प्रतिवर्ष किया जाएगा। राज्य सरकारें बड़ी संख्या में एससी छात्रों को लाभ पहुंचाने के लिए इस कार्यनीति को कार्यान्वित करने में महत्वपूर्ण भागीदार होंगे।
महानगर अध्यक्ष मुकेश शर्मा ने कहा कि भाजपा सरकारें अंतिम पंक्ति में बैठे लोगों को मुख्य धारा में लाने के लिये सारे प्रयास कर रही है। इसी कड़ी में यह कदम अनुसूचित वर्ग के छात्र-छात्राओं के लिये शिक्षा क्षेत्र में नये अवसर प्रदान करेगा।
प्रेस वार्ता में प्रमुख रूप से महानगर अध्यक्ष मुकेश शर्मा, जिला अध्यक्ष श्रीकृष्ण लोधी, महानगर महामंत्री राम अवतार कनौजिया, रमेश तूफानी, महानगर उपाध्यक्ष टिंकू सोनकर, सौरभ बाल्मीकि, महानगर मंत्री आमोद कुमार तथा महानगर महामंत्री पुष्कर शुक्ला आदि उपस्थित रहे।
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