शुक्रवार को हुई पंचायत में रालोद नेता जयंत चौधरी नमक-लोटा लाए थे। लेकिन भाकियू के राष्ट्रीय अध्यक्ष और बालियान खाप के मुखिया नरेश टिकैत ने लोटा नहीं पकड़ा।
मुजफ्फरनगर की महापंचायत में रालोद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जयंत चौधरी के राजनीतिक झांसे में भाकियू और बालियान खाप नहीं फंसी। किसानों के मुद्दे पर तो सभी एक दिखे लेकिन खापों और चौधरियों ने अपने को राजनीतिक साजिश का शिकार होने से बचाए रखा। भीड़ का जोश और गुस्सा देखकर जयंत ने दांव खेला। उन्होंने कहा कि किसान विरोधी जनप्रतिनिधियों का बहिष्कार कर देना चाहिए। एक लोटा साथ था, गंगाजल भी था, नमक भी था लेकिन भाकियू और बालियान खाप के चौधरी ने इस लोटे को नहीं पकड़ा।
जयंत चौधरी और भाकियू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत मतभेद भुलाकर गले मिले। संबोधन में जयंत चौधरी ने कहा कि जिन्हें आपने चुनकर भेजा, जो आपके वोट से मंत्री बने उनके खिलाफ भी कठोर निर्णय लेने का समय है। फिर जयंत ने पूछा...क्या गंगाजल मिलेगा, तो रालोद जिलाध्यक्ष अजित राठी पहले से ही गंगाजल लेकर तैयार थे। नमक भी आ गया।
जयंत ने कहा कि यदि वे जनप्रतिनिधि आपकी बात सरकार से नहीं मनवाते तो उनसे कहो कि वे भी इधर आ जाएं और यदि वे आपकी ओर नहीं आते तो उनका हुक्का पानी बंद कर दो और सार्वजनिक बहिष्कार करो। लेकिन बालियान खाप और भाकियू के मुखिया चौधरी नरेश टिकैत अपनी जगह बैठे रहे। अलबत्ता, नरेश टिकैत ने संबोधन में इतना अवश्य कहा कि चौधरी अजित सिंह को हराकर भूल हुई।
क्या है लोटा-नमक : सामूहिक पंचायत में लोगों को कराया गया संकल्प। लोटा-नमक उठाकर ली गई कसम तोड़ी नहीं जाती। मान्यता है कि जो कसम तोड़ेगा, वह पानी में ऐसे घुल जाएगा जैसे नमक घुलता है। ग्रामीण भाषा में इसे लोटा-नून कहते हैं।
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