3 कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले दो महीने से अधिक समय से प्रदर्शन कर रहे किसानों संगठनों ने शनिवार को देशव्यापी चक्का जाम किया। हालांकि उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में चक्का जाम नहीं करने का फैसला हुआ था। अब इस फैसले को लेकर किसान नेताओं के बीच मतभेद उभर आए हैं। दरअसल, भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने इन दोनों राज्यों में चक्का जाम नहीं करने की घोषणा की थी। अब किसान नेता दर्शनपाल सिंह ने इसे बिना सलाह-मशविरा के जल्दबाजी वाला निर्णय करार दिया है।
देशव्यापी चक्का जाम के बाद शनिवार को पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्होंने दावा किया कि इसे पूरे देश में समर्थन मिला है, जिससे एक बार फिर साबित हो गया कि देशभर में किसान नए कृषि कानूनों के खिलाफ एकजुट हैं। जब उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में चक्का जाम नहीं करने के फैसले पर सवाल किया गया तो दर्शनपाल सिंह ने कहा, 'उन्हें (राकेश टिकैत) व्यक्तिगत रूप से यह लगा कि यूपी और उत्तराखंड में हिंसा हो सकती है। मुझे लगता है कि उन्हें हमारे साथ बातचीत करने के बाद बयान देना चाहिए था। जल्दबाजी में दिया गया बयान था।
राकेश टिकैत ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में चक्का जाम नहीं करने के फैसले पर कहा था, 'हमारे पास इस बात के सबूत हैं कि कुछ लोग इन जगहों पर हिंसा फैलाने का प्रयास कर सकते हैं, इसलिए हमने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में चक्का जाम नहीं करने का फैसला किया है।' हालांकि इससे पहले उन्होंने कहा था कि इन दोनों राज्यों के लोगों को भविष्य के लिए स्टैंडबाय पर रखा गया है।
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