लखनऊ:-उत्तर प्रदेश सिन्धी अकादमी, लखनऊ द्वारा आज यहां अकादमी के 25वें स्थापना दिवस के अवसर पर राॅयल कैफे हाॅल, हजरतगंज, लखनऊ मंे ‘‘उत्तर प्रदेश सिंधी अकादमी की दशा एवं दिशा‘‘ विषय पर संगोष्ठी आयोजित की गयी। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे हरीश वाधवानी ने इस अवसर पर कहा कि भाषाई अस्मिता की सुरक्षा के लिए भावनात्मक रूप में जुड़ना ही होगा। उन्होंने कहा कि सिन्धी भाषा के संरक्षण के लिए पहले व्यवहारिक धरातल पर संवेदनशील होना होगा। यद्यपि भाषा रोज़गार का आधार भी होनी चाहिए परन्तु मातृभाषा को रोजी़रोटी से ही केवल जोड़कर देखने की बात करना मातृभाषा को बेचने जैसा होगा।
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि श्रीमती संयुक्ता भाटिया, महापौर नगर निगम,लखनऊ उपाध्यक्ष श्री नानक चन्द लखमानी, निदेशक श्री कल्लू प्रसाद द्विवेदी तथा अकादमी सदस्य श्री माधव लखमानी जी द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलन कर भगवान झूलेलाल जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया गया। मुख्य अतिथि श्रीमती संयुक्ता भाटिया ने सिन्धी अकादमी द्वारा सिन्धी भाषा, कला एवं संगीत आदि की दिशाओं में किये गये कार्यांे की प्रशंसा की। उन्होंने उपाध्यक्ष जी के कुशल निर्देशन मंे अकादमी की प्रगति हेतु शुभकामनाएं दी।
अकादमी उपाध्यक्ष नानकचन्द ने कहा कि सिन्धी भाषा के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु अपने घरों में सिन्धी भाषा में संवाद को प्रोत्साहित किया जाये। साथ ही सिन्धी भाषा के गुणों को बताते हुये कहा कि सिन्धी एक स्कोरिंग विषय है। सिन्धी भाषा के माध्यम से अधिक अंक अर्जित कर भारतीय प्रशासनिक सेवाआंे में अच्छा प्रर्दशन किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि अन्य प्रदेशों की भाँति उत्तर प्रदेश में भी सिन्धुपति राजा दाहरसेन, भगवान झूलेलाल, सन्त कँवरराम, सन्त आसूदाराम, शहीद हेमू कालानी को पाठ्यक्रम में सम्मिलित किये जाने पर बल दिया जा रहा है।
अकादमी निदेशक कल्लू प्रसाद द्विवेदी जी ने अकादमी की योजनाओं, गतिविधियों से परिचित कराया। कार्यक्रम में सिन्धी वक्ताओं, प्रबुद्ध व्यक्तियों को आमंत्रित कर अकादमी की दशा-दिशा पर स्थापना दिवस से अब तक के कार्यकलापों पर चर्चा की गयी। उन्होंने बताया कि भाषा विभाग, उत्तर प्रदेश शासन द्वारा दिनाँक 07 फरवरी, 1996 को अधिसूचना जारी कर उत्तर प्रदेश सिन्धी अकादमी की स्थापना की गयी।
कार्यक्रम में स्थानीय वक्ता हरीश वाधवानी, श्रीमती पद्मा गिडवानी, सुन्दरदास गोहराणी एवं सत्येन्द्र भवनानी ने अपने-अपने वक्तव्य प्रस्तुत किये। कार्यक्रम में अकादमी सदस्य माधव लखमानी, मुरलीधर आहूजा, नरेन्द्र प्रताप सिंह, दर्पण लखमानी आदि गणमान्य लोग मौजूद थे।
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