प्रमोद कुमार श्रीवास्तव
लखनऊ- उत्तर प्रदेश मे नियम कानून ताक पर रख कर काम करने की प्रथा चल पडी है यही कारण है कि प्रदेश का खाध एंव रसद विभाग आख पर पटटी बाधकर काम कर रहा है। सरकार के आदेश की 10 लाख से उपर के काम बिना टेन्डर नही देने के आदेश का खाध एंव रसद विभाग ने धज्जिया उडाते हुये बिना टेन्डर 100 करोड के डबल फोर्टिफाइड साल्ट का ठेका गुजरात के अंकुर केम फूड को दे दिया। अंकूर केम फूड ने ठेका पाते ही प्रदेश के 10 जनपदो मे साधारण नमक की सप्लाई करते हुये सरकार को 100 करोड का चूना लगा दिया।
इसी धोटाले पर आज जब इस संवाददाता ने खाद्य एवं रसद राज्य मंत्री रणवेन्द्र प्रताप सिंह ‘धुन्नी सिंह‘ से सवाल पूछा तो उनके पास इस सवाल का कोई जबाब नही था। जबाब की बात छोडिये विभागिय मन्त्री को इस बात की भी जानकारी नही थी कि उनके विभाग मे इतना बडा धोटाला हुआ है। आश्चर्य तो इस बात की हो रही है कि इतने बडे मामले की जानकारी विभाग के आलाधिकारियो ने विभागिय मन्त्री से भी छुपाये रखी।
क्या है डबल फोर्टिफाइड साल्ट- वह साल्ट जिसमे एन0ए0सी0एल,आयोडिन,इन्सालिबेल मैटल और आयरन की मात्रा समान अनुपात मे रहता है उसे डबल फोर्टिफाइड साल्ट कहते है। साधारण नमक मे ही एन0ए0सी0एल,आयोडिन,इन्सालिबेल मैटल और आयरन को मिलाकर डबल फोर्टिफाइड साल्ट बनाया जाता है जो एनीमिया पीडित मरीजो के लिये फायदेमन्द होता है।
ज्ञात हो कि एनीमिया पीडित लोगो के लिये डबल फोर्टिफाइड नमक के वितरण के लिये खाद्य एवं रसद विभाग के आलाधिकारियो ने दिसम्बर 2017 मे एक शासनादेश कर बिना टेन्डर लगभग 100 करोड का डबल फोर्टिफाइड साल्ट का ठेका अंकुर केम फुड को दे दिया। इस मामले मे चैकाने वाली बात यह थी कि अंकुर केम फुड के पास डबल फोर्टिफाइड साल्ट बनाने का लाइसेन्स नही होने के बाद भी उसे 100 करोड का काम दे दिया गया। जिसका फायदा उठाते हुये अंकुर केम फुड ने प्रदेश के 10 जिलो मे साधारण नमक की सप्लाई कर 100 करोड का भुगतान लिया और फुर्र हो गया।
इस बात की कई सामाजिक संगठनो द्वारा शिकायत की गयी थी।
जैसा कि आज की प्रेस वार्ता मे खाद्य एवं रसद विभाग की प्रमुख सचिव ने कहा कि मामले मे आरोपी को चार्जशीट दे दी गयी है। लेकिन अंकुर केम फूड के खिलाफ FIR और 100 करोड के रिकवरी के सवाल पर वह सवाल को टालने का प्रयास करती रही। जबकि इस मामले मे कायदे से उन अधिकारियो के खिलाफ जिन्होने सिर्फ एक शासनादेश के हवाले से 100 करोड के डबल फोर्टिफाइड साल्ट का ठेका दिया था उनके विरूद्ध और अंकुर केम फुड के विरूद्ध FIR दर्ज होनी चाहिये थी।
हमारे सुत्रो के अनुसार जिस अधिकारी के खिलाफ चार्जशीट की बात प्रमुख सचिव कर रही थी वह कई महीने पहले विभाग से रिटायर्ड हो चुका है।
अंकुर केम फुड कम्पनी को कौन बचा रहा है-ज्ञात हो कि इस पूरे मामले मे नमक बनाने वाली कम्पनी अंकुर केम फुड सबसे ज्यादा दोषी है। उसके पास डबल फोर्टिफाइड साल्ट का प्रमाण पत्र न होने के बाद भी उसने फर्जी दस्तावेजो के सहारे 100 करोड के डबल फोर्टिफाइड साल्ट का काम हथिया लिया जिसमे विभाग के कई आला अफसरो ने उसका साथ दिया। सुत्रो की माने तो इस मामले मे लक्ष्मी जी का रोल सबसे मजबूत था। इस मामले की पोल कई महीने पहले खुलने के बाद भी विभाग के कई आला अफसर एैसे है जो अंकुर केम फुड की तरफ से फील्डिग कर रहे है और उसको बचाने मे अपनी पूरी ताकत झोके हुये है। इस मामले मे विभाग की तरफ से अंकुर केम फुड को कोई नोटिस भी नही भेजी गयी जो सबसे चैकाने वाली बात है।
ज्ञात हो कि प्रदेश के 47 लाख एनीमिया पीडित लोगो के लिये अंकूर केम फूड को डबल फोर्टिफाइड साल्ट सप्लाई करने का जिम्मा 10 जिले सिद्धार्थनगर सन्तकबीरनगर फैजाबाद मऊ मेरठ फॅरूखाबाद मुरादाबाद हमीपुर इटावा और औरेया मे दिया गया था।
इस मामले पर गहराई से अध्ययन करने वाले लोग मानते है कि अंकुर केम फूड को 100 करोड का काम देने के लिये अधिकारियो ने सारे नियम कानून ताक पर रख दिये थे।
देखने योग्य बात यह है कि एक तरफ आम इन्सान सरकारी ठेकेदारी करने जब जाता है तो उसे 10 लाख का काम लेने के लिये टेन्डर प्रक्रिया से गुजरना पडता है वही अंकूर केम फूड को 100 करोड का काम बिना टेन्डर कैसे दे दिया गया यह अहम सवाल है।
उपरोक्त पूरी धटना को मुख्यमन्त्री से भी छिपायी गयी वरना अब तक अंकुर केम फुड से 100 करोड की वसूली भी हो गयी होती और अंकुर कम्पनी का मालिक जेल की चार दीवारी के पीछे भी पहुच गया होता।
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