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अजीत हत्याकांड का शूटर गिरधारी को लखनऊ पुलिस ने एनकाउंटर में मार गिराया

अजीत हत्याकांड का शूटर गिरधारी को लखनऊ पुलिस ने एनकाउंटर में मार गिराया

2021-02-15 12:07:33
अजीत हत्याकांड का शूटर गिरधारी को लखनऊ पुलिस ने एनकाउंटर में मार गिराया

लखनऊ में शूट आऊट में चर्चा में आया था गिरधारी,पुलिस पर हमला कर हिरासत से भागते वक्त मारा गया, दिल्ली में नाटकीय ढंग से हुआ था गिरफ्तार

Lucknow- 6 जनवरी को लखनऊ के कठौता चौराहे पर  ब्लाक प्रमुख  मऊ निवासी अजीत सिंह को  गोलियों से छलनी करने वाले गिरधारी उर्फ डॉक्टर को लखनऊ पुलिस ने  इनकाउंटर में मार गिराया । अजीत की हत्या के बाद गिरधारी  दिल्ली भाग गया था  जहां नाटकीय ढंग से उसकी गिरफ्तारी हुई थी । लखनऊ पुलिस द्वारा  गिरधारी को 3 दिन की रिमांड पर लिया गया था। गिरधारी उर्फ डॉक्टर को हत्या में प्रयुक्त असलहा बरामदगी हेतु सहारा हॉस्पिटल के पीछे खरगापुर क्रॉसिंग के पास आए जैसे ही गाड़ी रुकी और लोग सीट से उतरे कि उप निरीक्षक अख्तर उस्मानी अपने साइड से अभियुक्त को उतार रहे थे तभी अभियुक्त मजबूत जिस्म का होने के कारण उप निरीक्षक अख्तर उस्मानी के नाक पर सर से वार किया जिससे अख्तर उस्मानी गिर गए और उनकी पिस्टल लेकर भागने लगा जिसका पीछा वरिष्ठ उप निरीक्षक अनिल सिंह द्वारा किया गया तो गिरधारी ने उनके ऊपर फायर करता हुआ झाड़ियों में भाग गया। जिसकी सूचना ब्रैवो कंट्रोल रूम व 112 पर दी गई जिसकी सूचना मिलते ही पुलिस उपायुक्त पूर्वी आ गए।  पुलिस बल व प्रभारी निरीक्षक चंद्रशेखर सिंह व प्रभारी निरीक्षक अतिरिक्त चारों तरफ से झाड़ियों में घेरकर आत्मसमर्पण के लिए चेतावनी देने लगे लेकिन गिरधारी द्वारा छीनी हुई सरकारी पिस्टल से बार-बार फायर किया जा रहा था रहा था। जवाबी कार्रवाई में उसे गोली लग गई और चिल्लाता हुआ गिर गया, पास जाकर देखा गया तो उसकी सांसे चल रही थी, तत्काल सरकारी गाड़ी द्वारा राम मनोहर लोहिया इमरजेंसी में भेजा गया दौरानी इलाज उसकी मृत्यु हो गई। गिरधारी दोनों हाथों से असलहा चलाने में माहिर था। उसका नाम डॉक्टर इसलिए पड़ा था, क्योंकि वह शरीर के ऐसे हिस्से में गोली मारता था जहां लगने के बाद तुरंत मौत हो जाती थी।
लखनऊ, वाराणसी, दिल्ली समेत 12 बड़े शहरों की क्राइम डायरी में भले ही उसका असली नाम गिरधारी विश्वकर्मा दर्ज हो। लेकिन अपराध की दुनिया में उसे कई नाम थे। वह गिरधारी लोहार, डॉक्टर, टग्गर, DM, रॉबिनहुड के नाम से जाना जाता था।
'बाहुबली आका' के कहने पर दिल्ली में गिरफ्तार हुआ था गिरधारी-
शूटर गिरधारी का निशाना अचूक था। वह सुपारी लेकर हत्याकांड को अंजाम देता था। उसकी तलाश वाराणसी पुलिस को भी थी। गिरधारी ने 30 दिसंबर 2019 को वाराणसी के सदर तहसील परिसर में दिनदहाड़े ठेकेदार नीतीश सिंह की हत्या कर दी थी। इसके बाद उसका नाम प्रदेश के बड़े अपराधियों में शुमार हो गया था। अजीत सिंह की हत्या के एक माह से अधिक समय तक UP पुलिस उसकी तलाश करती रही। लेकिन 11 जनवरी को फिल्मी स्टाइल में दिल्ली पुलिस ने रोहिणी इलाके से गिरफ्तार किया।

गिरधारी विश्वकर्मा साल 2001 से जरायम जगत में सक्रिय है। वर्ष 2001 में गिरधारी के खिलाफ लूट का पहला मुकदमा दर्ज किया गया था। वर्ष 2000 तक गिरधारी चोलापुर क्षेत्र के ही एक सफेदपोश का शागिर्द था और छोटे-मोटे झगड़ों में उसका नाम सामने आता था। लोग बताते हैं कि सफेदपोश के संरक्षण में आने से पहले गिरधारी की छोटी सी दुकान भी थी। इसके बाद वह जौनपुर और आजमगढ़ के सफेदपोशों के संपर्क में आया था। वर्ष 2005 में जौनपुर के केराकत क्षेत्र में हत्या के बाद गिरधारी दोनों हाथ से ताबड़तोड़ फायरिंग करने वाले शार्प शूटर के तौर पर जरायम जगत में कुख्यात हो गया। वर्ष 2010 में गिरधारी पर 50 हजार का इनाम घोषित हुआ था। इसके बाद 2019 में नितेश की हत्या हुई तो उस पर एक लाख का इनाम घोषित हुआ था।
गिरधारी शक्ल से ही नहीं बल्कि दिमाग से भी बहुत शातिर था। वह पुलिस से बचने का तरीका बखूबी जानता था और जिसकी भी प्रदेश में सरकार रहती है वह उसी दल के नेताओं से दोस्ती गांठ लेता था। 2005 में जौनपुर में चेयरमैन चुनाव की रंजिश में विजय गुप्ता की हत्या करने के बाद उसने तत्कालीन सांसद से दोस्ती बना ली, जो अब तक बराकरार रही। इसके बाद 2007 में बसपा की सरकार बनने के बाद आजमगढ़ से सत्ताधारी विधायक से रिश्ते मजबूत कर लिया। लेकिन 2012 में सरकार बदलते ही उससे दुश्मनी हो गई थी। 

जानकारी के अनुसार गिरधारी विश्वकर्मा को जरायम की दुनिया का डाक्टर भी कहा जाता रहा। उसे यह पता था कि शरीर के किस हिस्से में गोली मारने से तुरंत जान चली जाती है। इसलिए राजनीति से जुड़े लोगों को मौत के घाट उतारने के लिए उसे हत्या की सुपारी दी जाती थी। उसने जौनपुर, आजमगढ़, मऊ, वाराणसी, लखनऊ में अब तक जितने भी मर्डर किया वह सब राजनीति से जुड़े लोग थे। 2005 में गिरधारी लोहार ने जौनपुर में चेयरमैन के भाई विजय गुप्ता की हत्या की थी।
इसके बाद 2008 में मऊ के घोसी में नंदू सिंह की हत्या, 2011 में आजमगढ़ के जीयनपुर में डमरू सिंह की हत्या, 2010 में मऊ के कोतवाली इलाके में सुनील सिंह की हत्या, 2013 में बीएसपी विधायक सर्वेश सिंह उर्फ सीपू की हत्या, 2019 में वाराणसी में नीतेश सिंह की हत्या और 2020 में लखनऊ में पूर्व ब्लाक प्रमुख अजीत सिंह हत्या कर दी थी। 


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