देश के जाने माने गीतकार सन्तोष आन्नद इस समय गर्दिशो मे जी रहे है। कभी अपने शब्दो से लोगो के दिलो पर छा जाने वाले सन्तोष आन्नद फिलहाल जिन्दगी से जंग लड रहे है। बेटे और बहू के आत्महत्या करने के बाद टूट चुके सन्तोष आन्नद कहते है कि वह तो बस अब अपने पोती के लिये जी रहे है। ज्ञात हो कि 2014 मे सन्तोष आन्नद के बहू बेटे एक रेलवे टेक पर मृत पाये गये थे। वह इंडियन आइडल शो के हाल ही के एक एपिसोड में पहुंचे। उन्होंने शो में अपनी दर्द भरी बातें सुनाकर सभी को इमोशनल कर दिया। संतोष आनंद ने फेमस सॉन्ग एक प्यार का नगमा है गाने को लिखा है, जिसे आज भी लोग सुनना बहुत पसंद करते है लेकिन पिछले कई सालों से वह खराब आर्थिक स्थिति से गुजर रहे हैं। वह चल-फिर भी नहीं पाते हैं। जब शो में उन्होंने अपनी हालत के बारे में बताया तो सभी आंखें नम हो गईं।
गीतकार सन्तोष आन्नद ने कहा कि, ''बरसों बाद मैं मुंबई आया हूं। अच्छा लग रहा है। एक उड़ते हुए पंक्षी की तरह मैं यहां आता था और चला जाता था। रात-रात भर जग के मैंने गीत लिखे। मैंने गीत नहीं, अपने खून और कलम से लिखा है यह सब कुछ। इतना अच्छा लगता है वो दिन याद करके। कभी-कभी ऐसा लगता है जैसे दिन भी रात हो गया है। गीतकार सन्तोष आन्नद ने कहा कि 'मैं जीना चाहता हूं बहुत अच्छी तरह। गीतकार सन्तोष आन्नद ने कहा कि पैदल जाते थे देवी यात्राओं पर, गर्मी में पीले कपड़े पहनकर। राम जी ने मुझपर कृपा भी बहुत की थी। बहुत कुछ दिया भी था। सबकुछ कैसे कैसे चला गया। राम जी का कपाट किसने बंद कर दिए, मुझे आजतक पता नहीं। अब वो दौर तो नहीं, लेकिन एक बार जरूर कहना चाहता हूं, जो बीत गया है वो अब दौर न आएगा, इस दिल में सिवा तेरे कोई और न आएगा। घर फूंक दिया हमने अब राख उठानी है, जिंदगी और कुछ भी नहीं तेरी-मेरी कहानी है।
ये सब सुनते ही नेहा कक्कड़ रोने लगीं और कहा, 'आपके लिखे जो गीत हैं, उनसे हम सबने प्यार करना सीखा है। दुनिया के बारे में जाना है और सर मैं मेरी तरफ से आपको 5 लाख रुपए की भेंट देना चाहती हूं।' यह सुनकर संतोष आनंद रो पड़ते हैं और कहते हैं, ''मैं बड़ा स्वाभिमानी हूं, मैंने आज तक किसी नहीं मांगा कुछ भी। मैं आज भी मेहनत करता ही दूर-दूर जाकर।'' नेहा ने जबाव में कहा, ''आप ये समझिए की ये आपकी पोती की तरफ से है। इसके बाद संतोष आनंद बोलते हैं, ''उसके लिए मैं स्वीकार करूंगा।''
गीतकार सन्तोष आन्नद का जन्म उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के सिकंदराबाद में हुआ था। उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से लाइब्रेरी साइंस की पढ़ाई की। शुरुआत में संतोष ने दिल्ली में बतौर लाइब्रेरियन काम किया। उन्हें कविताओं का बड़ा शौक था। वह दिल्ली में होने वाले कवि सम्मेलनों में हिस्सा लेते थे। कविताएं लिखते थे। 1970 में संतोष आनंद को पहली बार फिल्म के लिए गाने लिखने का ऑफर मिला। फिल्म पूरब और पश्चिम के लिए 'पुरवा सुहानी आई रे' गाना लिखा।
इस गाने को इतना पसंद किया गया कि उन्हें और ऑफर मिलने लगे। 1972 में उन्होंने फिल्म शोर के लिए एक प्यार का नगमा है गाना लिखा, जो बहुत पॉप्युलर हुआ। इस गाने को मुकेश और लता मंगेशकर ने गाया था। साल 1974 में फिल्म रोटी कपड़ा और मकान फिल्म के 'मैं ना भूलूंगा…'और 1983 में 'प्रेम रोग' फिल्म के ‘मोहब्बत है क्या चीज’ गाने के लिए फिल्म फेयर अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। साल 2016 में यश भारती अवॉर्ड से नवाजे गए।
साल 2014 में संतोष के बेटे संकल्प और बहू ने खुदकुशी कर ली थी। संकल्प, गृह मंत्रालय में आईएएस अधिकारियों को सोशियोलॉजी और क्रिमिनोलॉजी पढ़ाते थे, लेकिन एक वक्त ऐसा आया है कि वह मानसिक रूप से परेशान रहने लगे। संकल्प और उनकी पत्नी ने कोसीकलां कस्बे के पास रेलवे ट्रैक पहुंचकर ट्रेन के सामने कूदकर अपनी जान दे दी थी। संतोष के लिए इस सदमे से निकल पाना बहुत मुश्किल रहा।
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