बिहार में आरक्षण का दायरा बढ़ाने के राज्य सरकार के फैसले को पटना हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है। सरकार ने शिक्षण संस्थानों और सरकारी नौकरियों में आरक्षण की सीमा 50% से बढ़ाकर 65% करने का प्रस्ताव दिया था। इस फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए पटना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की बेंच ने राज्य सरकार के इस कानून को रद्द कर दिया है।
हाईकोर्ट का यह फैसला महत्वपूर्ण है क्योंकि यह संविधान में निर्धारित आरक्षण की सीमा का पालन करता है, जो 50% है। इससे अधिक आरक्षण को कई बार न्यायिक समीक्षा के दौरान असंवैधानिक करार दिया गया है। बिहार सरकार के इस फैसले को संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) और अनुच्छेद 16 (सार्वजनिक रोजगार में अवसर की समानता) का उल्लंघन माना गया है।
यह निर्णय यह भी दर्शाता है कि आरक्षण की सीमा के संदर्भ में न्यायपालिका का रुख क्या है और यह कैसे आरक्षण की सीमा को संतुलित करने का प्रयास करता है ताकि कोई भी समूह संवैधानिक अधिकारों से वंचित न हो।
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