ब्लैक लिस्टेड करने के बजाय अंकूर नमक को कर्मचारी कल्याण निगम ने जनवरी 2018 मे बिना टेन्डर बैक डोर से एक बार फिर दे दिया 100 करोड के डबल फोर्टिफाइड साल्ट का ठेका
लखनऊ-प्रदेश मे योगी सरकार आने के बाद अंकुर कम्पनी ने अपने जुगाडतत्र के बलबूते अपने फेवर मे 18 दिसम्बर 2017 को एक शासनादेश करवा लेता है कि (आपूर्तितकाल का विस्तार किया जाता है) जबकि कायदे से टेण्डर के नियम 10:18 के तहत कर्मचारी कल्याण निगम को अंकुर कम्पनी को ब्लैक लिस्टेड करना चाहिये था। मगर एैसा करने के बजाय अंकूर नमक को कर्मचारी कल्याण निगम ने जनवरी 2018 मे बिना टेन्डर बैक डोर से एक बार फिर 100 करोड के डबल फोर्टिफाइड साल्ट का ठेका दे दिया इसमे शासन स्तर के कई अधिकारियो ने अपनी अपनी अहम भूमिका निभायी।
अंकुर को फायदा पहुचाने के लिये शासन स्तर पर दिसम्बर 2017 मे शुरू हुआ नया खेल-
शासनादेश का हवाला देकर शासन मे बैठे अंकुर के खास अधिकारियो ने 18 दिसम्बर 2017 को अंकुर के फेवर मे एक शासनादेश जारी करा देते है। उसी शासनादेश का हवाला देते हुये जनवरी 2018 मे दोबारा एक वर्ष के लिये 10 जनपदो मे 47 लाख एनीमिया पीडितो को डबल फोर्टिफाइड साल्ट बाटने की जिम्मेदारी अंकुर कम्पनी को एक बार फिर से बिना टेन्डर दे दी गयी और इस बार कुल नमक ठेका लगभग 100 करोड के आस पास पहुच गया।
जबकि अधिकारियो को इस बात की पूरी जानकारी थी कि पहली बार निविदा मे अंकुर किसी स्तर पर निविदा मे प्रतिभाग करने लायक नही था। उसके पास डबल फोर्टिफाइड साल्ट बनाने की न तो न्यूनतम योग्यता थी न ही बीआईएस 16232:2014 का लाइसेन्स न ही जयपुर साल्ट कमिश्नर का प्रमाण पत्र था। अंकुर के पास न तो हैबी मेटल मापने की मशीन थी और न ही 5 वर्ष का अनुभव। इन सब बातो को अनदेखा करते हुये शासन मे बैठे अधिकारियो ने अंकुर केम फूड को 10 जिलो मे एनीमिया पीडित लोगो के लिये डबल फोर्टिफाइड साल्ट के सप्लाई का काम दे दिया।
टेण्डर प्रकाशित होने के बाद टेण्डर पर कोई शासनादेश लागू नही होता-
एक बार 2016 मे जब कोई टेण्डर प्रकाशित हो गयी तो प्रकाशन के बाद उस टेण्डर कापी मे किसी भी प्रकार का छेडछाड या किसी शब्द को जोडने या धटाने जैसा कोई भी नियम लागू नही होता। टेण्डर प्रकाशन के बाद उपरोक्त टेण्डर पर किसी प्रकार का कोई शासनादेश लागू नही हो सकता।
शासन स्तर से कहा गया कि एक (शासनादेश जारी कर आपूर्तिकाल का विस्तार किया गया) जबकि टेन्डर पुस्तक मे एैसा कुछ उल्लेख नही था। शासनादेश भी नियम कानून को ताक पर रखकर पास कराया गया। जबकि कायदे से पुराना काम 2016 मे पूरा न करने के एवज मे टेन्डर नियमो के अनुसार अंकुर केम फूड को काली सूची मे डालना चाहिये था। उसका बैक गारन्टी 6 करोड रूपये को जब्त करना चाहिये था। मगर एैसा अधिकारियो ने नही किया। अगर इस पाइलेट प्रोजेक्ट को दोबारा चलाना ही था तो कायदे से 2016 के टेन्डर को रदद कर नये सिरे 2018 मे फिर से डबल फोर्टिफाइड साल्ट का टेन्डर निकालना चाहिये था पर एैसा अधिकारियो ने नही किया।
ज्ञात हो कि एनीमिया पीडित लोगो के लिये डबल फोर्टिफाइड नमक के वितरण के लिये नवम्बर 2016 मे अंकूर केम फूड को सिद्धार्थनगर सन्तकबीरनगर फैजाबाद मऊ मेरठ फॅरूखाबाद मुरादाबाद हमीपुर इटावा और औरेया का ठेका दिया था।
ज्ञात हो उपरोक्त सप्लाई को एक साल बिना नागा करना था। बिना नागा इसलिये कि यह एक प्रकार मेडिसिन थी जो नमक के जरिये एनीमिया पीडित लोगो को दिया जा रहा था और एक साल के बाद एनीमिया पीडित मरीजो पर वैज्ञानिको द्वारा रिसर्च किया जाता और इस रिसर्च के बाद यह तय होता कि उपरोक्त डबल फोर्टिफाइड साल्ट जो एनीमिया पीडित 47 लाख लोग खा रहे थे उनको उस नमक से कोई फायदा हुआ कि नही। मगर सप्लाई बाधित हो जाने से पहली बार ही इस पायलट प्रोजेक्ट का पलीता अंकुर वालो ने लगा दिया और दूसरी बार जनवरी 2018 मे दोबारा डबल फोर्टिफाइड साल्ट का ठेका मिलने के बाद पूरे एक साल और पूरी क्वान्टिटी के तहत अंकुर केम फुड दोबारा भी सप्लाई नही कर पाया। इसके बाऊजूद खाध एंव रसद विभाग तथा कर्मचारी कल्याण निगम के आलाअधिकारियो द्वारा अंकुर कम्पनी पर मेहरबानी जारी रखी।
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