Gauhati High Court slams bulldozer action: जांच के बहाने बगैर इजाजत के किसी के घर पर बुलडोजर नहीं चलाया जा सकता। अगर इस तरह की पुलिस कार्रवाई जारी रहती है तो देश में कोई भी महफूज नहीं रह पाएगा। आगजनी के एक आरोपी के घर पर बुलडोजर चलाने के लिए असम के एक पुलिस अधीक्षक (SP) पर नाराज होकर गौहाटी उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश आरएम छाया (Chief Justice RM Chhaya ) ने यह टिप्पणी की है। उन्होंने कहा कि पुलिस “जांच की आड़ में” बिना अनुमति के किसी के घर पर बुलडोजर नहीं चला सकती है। इस मामले में हाईकोर्ट 12 दिसंबर को अगली सुनवाई करेगा।
नागांव जिले में आगजनी के एक मामले में आरोपी शख्स के घर को गिराए जाने के मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए मुख्य न्यायाधीश आरएम छाया और जस्टिस सौमित्र सैकिया की बेंच ने कहा, “मुझे किसी भी आपराधिक न्यायशास्त्र से दिखाओ कि जांच के लिए पुलिस बिना किसी आदेश के एक व्यक्ति के घर को उजाड़ सकती है या उस पर बुलडोजर चला सकती है। रिपोर्ट के मुताबिक पुलिस को जांच के लिए आरोपी के घर की खुदाई की जरूरत थी। कानूनन इसके लिए उन्हें इजाजत लेना चाहिए था।
हाई कोर्ट में एसपी के वकील ने यह दलील देने की कोशिश की थी कि पुलिस को घर की तलाशी लेने के लिए जिलाधिकारी से अनुमति मिली है, तो मुख्य न्यायाधीश छाया ने कहा कि अनुमति तलाशी के लिए थी, बुलडोजर चलाने की नहीं। उन्होंने कहा कि चाहे कितना भी वरिष्ठ पुलिस अधिकारी क्यों न हो उसे कानून के दायरे में काम करना होता है और अगर मनमानी की गई तो देश में कोई भी सुरक्षित नहीं रहेगा।
चीफ जस्टिस छाया ने कहा, “वह किसी भी जिले का एसपी हो, यहां तक कि आपका आईजी, डीआईजी, आईएएस अधिकारी या डीजीपी हो, उसे कानून के दायरे से गुजरना होगा। केवल इसलिए कि वे पुलिस विभाग के प्रमुख हैं, वे किसी का घर नहीं तोड़ सकते। अगर इस तरह की कार्रवाई की अनुमति है तो इस देश में कोई भी सुरक्षित नहीं है। हम वैसे नहीं हैं। हमें कानूनी प्रक्रिया का पालन करना होगा।
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